वाराणसी: चोलापुर के आयर बाजार क्षेत्र में एक किशोरी ‘बालिक वधू’ बनने से बच गयी। बाल विवाह रोकने को पहुंची टीम को देख दूल्हा और बाराती मण्डप से भाग निकले। जिला बाल संरक्षण इकाई की संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह को बुधवार की देर शाम किसी ने सूचना दी कि चोलापुर के आयर बाजार क्षेत्र में 15 वर्षीय किशोरी का बालविवाह हो रहा है। यह भी बताया कि शादी करने के लिए राजस्थान से चार-पांच लोगों के साथ दूल्हा वहां पहुंचा हुआ है। संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह ने इस पूरे मामले से जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पाण्डेय को फौरन अवगत कराया।
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इस पर उन्होंने तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके बाद एक टीम गठित हुई जिसमें बाल संरक्षण इकाई के राजकुमार, रामकिशुन व चाइल्ड लाइन से आजाद एवं खुशबू को शामिल किया गया। साथ ही चोलापुर थाने पर फोन कर वहां पुलिस बल भेजने को कहा गया।
पुलिस के साथ टीम जब आयर बाजार क्षेत्र स्थित किशोरी के घर पहुंची तो वहां मण्डप में विवाह की रस्म चल रही थी। टीम के पहुंचने की भनक लगते ही दूल्हा और उसके साथ के लोग वहां से भाग निकले। परिजनों से पूछताछ की गयी तो पता चला कि किशोरी की उम्र अभी महज 15 साल है। वह कक्षा पांच तक पढ़ी है। वहां हुई पूछताछ के बाद किशोरी और उसके अभिभावकों को लेकर यह टीम बाल कल्याण समिति के चांदमारी स्थित कार्यालय पहुंची और उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया।
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समिति के सदस्य अखिलेश कुमार तथा शील चंद्र किशोर कुजूर ने मामले की सुनवाई की साथ ही बालिका के घर वालो को बाल विवाह न करने का शपथ पत्र देने तथा बालिका को पुनः 15 दिन बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेंगे का शपथपत्र देने के बाद किशोरी को उसके परिजनों के साथ जाने की अनुमति दे दी गयी। जिला बाल संरक्षण इकाई की संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह ने बताया कि किशोरी को कक्षा 6 में प्रवेश दिलाने के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र भी प्रेषित किया गया है।
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क्या है बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-
किसी भी बालक का विवाह 21 साल एवं बालिका की 18 साल की उम्र होने के बाद ही शादी की जा सकती है। यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा। भले ही वह सहमति से ही क्यों न किया गया हो। सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं होता। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम -2006 के अंतर्गत बाल विवाह होेने पर दो वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।
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