हाइकोर्ट के निर्देश पर प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड लखनऊ ने भारत संचार निगम, अनपरा सोनभद्र के बिजली बिल का सुधार करते हुए ढाई करोड़ रुपये (2,49,98,531 rs) के बिल को 58 ,42,863 रुपए कर दिया और जिसकी आधी राशि एक हफ्ते में जमा करने को भारत संचार निगम लिमिटेड को कहा है और उसके बाद शेष आधी राशि एक महीने के अंदर जमा करने पर सहमति जताई है ।जबकि सुधार के बाद अलग से बकाया सर चार्ज 72 लाख रुपये (71,95,610 rs) पर आपत्ति होने पर सुधार के लिए विधिक पीठ कंज्यूमर फारम के द्वारा तय किये जाने पर सहमति जताई है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड अनपरा सोनभद्र की ओर से बिल सुधार किये जाने पर भारत संचार निगम लिमिटेड की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी व जयंत बनर्जी की पीठ के समक्ष बहस में बताया बिजली विभाग अनपरा ने स्वयं बिल सुधार कर मान लिया है कि बिल में बड़ी गड़बड़ी थी लेकिन अभी भी सर चार्ज लगभग 72 लाख रुपये बकाया है और 2014 से 2018 तक के बिल में उस समय के टैरिफ प्लान के अनुसार कोई सुधार नही किया जो पूरी तरीके से अभी भी गलत बिल है और अभी भी सुधार के बाद कुल बकाया रकम 1,30,38,473 रुपये बताया है जिस पर याची को आपत्ति है और बिल सुधार किए जाने पर याची का ही पैसा निकल रहा है।
जबकि हाइकोर्ट के निर्देश के क्रम में प्रबंध निदेशक, लखनऊ के आदेश पर भारत संचार निगम लिमिटेड, अनपरा का 24 घण्टे के अंदर ही बिजली कनेक्शन जोड़ दिया गया है और बिल में सुधार करते हुए इलेक्ट्रिक चार्ज और इलेक्ट्रिक ड्यूटी की संशोधित राशि 58,42,863 रुपये का 50 प्रतिशत बिल एक हफ्ते में जमा करने व शेष आधा 1 महीने के अंदर जमा करने पर सहमति जताई है और बिल सुधार करने के बाद शेष बकाया सर चार्ज लगभग 72 लाख रुपये पर विधुत वितरण अधिनियम के तहत उपभोक्ता फोरम के द्वारा निर्णय किये जाने की बात कही है।
हाइकोर्ट के निर्देश पर प्रबंध निदेशक, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ,लखनऊ ने अपना व्यक्तिगत हलफनामा देकर न्यायालय को अवगत कराया।
भारत संचार निगम लिमिटेड की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि बिजली विभाग के द्वारा बिजली काटे जाने पर पूरे एरिया में इंटरनेट सेवा, फोन सर्विसेज, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन 5 महीने से बाधित/प्रभावित रहा है जिसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड जिम्मेदार है जिन्होंने बिल में भारी गड़बड़ी को स्वीकार किया है और अभी भी पूरी तरीके से बिल में सुधार नहीं हुआ है और याची का ही पैसा निकल रहा है, भारत संचार निगम लिमिटेड की छवि को पब्लिक क्षेत्र में खराब किए जाने पर इन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए। जिस पर उच्च न्यायालय ने याची को उपभोक्ता फोरम के समक्ष पूरे प्रकरण को पुनः सुने जाने हेतु शिकायत दर्ज किए जाने की छूट देते हुए याचिका निस्तारित कर दिया।
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