देश में कोरोना (Coronavirus)
की स्थिति को
लेकर केंद्र सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है. हाई लेवल बैठकों का दौर जारी है.
वहीं शुक्रवार (23 दिसंबर) को मोदी कैबिनेट एक बड़ा फैसला लिया है. साल 2020 में कोरोना के कारण
लगे लॉकडाउन के बाद शुरू हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अब एक साल के
लिए बढ़ा दिया गया है.
कोविडके नए वैरियंट को देखते हुए कोविड कमाण्ड सेंटर सक्रिय करने का निर्देश
सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 81.3 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज का वितरण एक साल तक करने का फैसला किया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट बैठक के बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को मुफ्त राशन देने पर करीब दो लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी और इसका बोझ केंद्र सरकार उठाएगी.
28 महीनों में खर्च हुए 1.80 लाख करोड़
कोरोना के बाद इस योजना के कारण करोड़ों लोगों को लाभ पहुंचा
है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पिछले 28 महीनों में इस योजना पर 1.80 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
सितंबर में सरकार ने पीएमजीकेएवाई की समयसीमा को तीन महीने के यानी 31 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया था.
गरीबों के लिए शुरू की गई थी योजना
पीएमजीकेएवाई की शुरुआत अप्रैल, 2020 में उन गरीबों की मदद के लिए की गई थी, जिनकी आजीविका का साधन कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से देशव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुआ था. इस योजना के तहत 80 करोड़ गरीबों को प्रति माह पांच किलो गेहूं और चावल मुफ्त दिया जाता है.
PMGKAY स्कीम क्या है?
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत केंद्र सरकार प्रत्येक
गरीब व्यक्ति को 5 किलो राशन फ्री देती है. कोविड काल से योजना चलाई जा रही है. योजना
के अंतर्गत 80 करोड़ गरीबों को गेहूं और चावल फ्री में दिया जाता है.
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