वाराणसी: देश से वर्ष 2025 तक टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार ठोस कदम उठा रही है । इसके लिए टेस्टिंग (जांच), ट्रीटमेंट (उपचार) और प्रिवेंशन (बचाव) पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत जनपद के सभी क्षय रोगियों के परिवार के सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) दी जा रही है। टीबी के प्रसार को रोकने के लिए यह थेरेपी रामबाण साबित हो रही है। इस कार्य में सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई) के तहत जीत प्रोजेक्ट स्वास्थ्य विभाग का सहयोग कर रहा है।
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उक्त बातें बुधवार को नदेसर स्थित होटल न्यू टेंपल टाउन में राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित हुई एक दिवसीय कार्यशाला में कहीं गईं। कार्यशाला में सरकारी चिकित्सा इकाईयों के समस्त अधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों व चिकित्सकों का टीपीटी के लिए संवेदीकरण किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि यदि किसी आदमी को फेफड़े की टीबी हो जाती है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी से संक्रमित कर सकता है। इसलिए रोगियों के परिवार के लोगों के ऊपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पोषण व भावनात्मक सहयोग उपलब्ध करा रही संस्थाओं के प्रयास सकारात्मक होते दिख रहे हैं। क्षय रोगियों के उपचार के साथ ही उनके पोषण में भी सहयोग आवश्यक है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सामाजिक संगठनों, निजी चिकित्सकों व आमजन को आगे आना होगा तभी हम वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत की कल्पना कर सकते हैं।
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जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि टीबी रोगियों के परिजनों या संपर्क में आने वालों की स्क्रीनिंग और एक्सरे किया जा रहा है। जांच में किसी व्यक्ति में टीबी लक्षण दिखाई देंगे तो संबंधित का भी उपचार विभाग की ओर से किया जाएगा। लक्षण नहीं दिखने पर उस व्यक्ति की टीपीटी शुरू की जाएगी। उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि सरकारी व निजी क्षेत्र में उपचार प्राप्त कर रहे पलमोनरी (फेफड़े) टीबी रोगियों के साथ रह रहे लोगों को टीपीटी प्रदान करने में सहयोग करें। कार्यशाला में उप जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ अमित सिंह, चिकित्सा अधिकारी डॉ अन्वित श्रीवास्तव व विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डॉ विनोद ने टीपीटी के लिए परिजनों की किस तरह काउन्सलिन्ग करें, उन्हें जांच और थेरेपी के लिए प्रेरित करें के साथ अन्य चिकित्सीय शिक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि टीबी रोगी के साथ परिजन को भी पूरे उपचार के दौरान छह माह तक नियमित दवा का सेवन करना है।
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जीत प्रोजेक्ट के डिस्ट्रिक्ट लीड अश्वनी राय ने बताया कि स्वाथ्य विभाग के समन्वय से सीएचआरआई की ओर से जनपद में टीपीटी के लिए 25 टीमें बनाई गई हैं। जिला क्षय रोग केंद्र से भेजी गई 4222 क्षय रोगियों की सूची के क्रम में जनवरी से अब तक 17,170 परिजनों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। सीएचआरआई के जरिए 9,077 लोगों की एक्सरे जांच की गई जिसमें से पाँच वर्ष से ऊपर के 8,805 लोगों को टीपीटी दी जा रही है। पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों को कीमोप्रोफ़ाइलिक्सिस थेरेपी दी जा रही है।
लक्षण दिखें तो कराएं जांच – कार्यशाला में बताया कि अगर लगातार दो हफ्ते से खांसी आए, बलगम में खून आए, रात में बुखार के साथ पसीना आए, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी जांच करवा सकते हैं। अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो तो पूरी तरह ठीक होने तक इलाज चलाना है।
इस मौके पर एसीएमओ डॉ एके मौर्य, डॉ एसएस कनौजिया, डॉ शिशिर, डीएचईआईओ हरिवंश यादव, डीपीसी संजय चौधरी, डीपीपीएमसी नमन गुप्ता, डीपीटीसी विनय मिश्रा एवं अन्य चिकित्सा अधिकारी व अन्य लोग मौजूद रहे।
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