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Saturday, December 17, 2022

किशोर - किशोरियों व बच्चों में नीली व गुलाबी गोली रोकेगा खून की कमी

वाराणसी: स्वस्थ एवं संतुलित पोषण आहार न मिल पाने से खून की कमी (एनीमिया) एक आम समस्या है। लेकिन इसको अनदेखा नहीं किया जा सकता। बच्चों से लेकर धात्री महिलाओं में एनीमिया के कारण शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बच्चों में कुपोषण का कारण बनता है और मानसिक विकास पर भी प्रभाव पड़ता हैं। किशोरों में खून की कमी होने से स्कूल में का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता और दैनिक काम-काज में एकाग्रता कम रहती है। गर्भवती को प्रसव के दौरान समस्या हो सकती हैं। इसी के मद्देनजर बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को खून की कमी से बचाव करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड संपूरक (विफ़्स) पर ज़ोर दिया जा रहा है।


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उक्त जानकारी शनिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में राष्ट्रीय किशोर-किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड् संपूरक (विफ़्स) का एक दिवसीय प्रशिक्षण में दिया गया। प्रशिक्षण की अध्यक्षता सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने की। उन्होंने कहा कि 6 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के सभी बच्चों एवं किशोर-किशोरियों को प्रत्येक सप्ताह प्रत्येक सोमवार गोली खाने से एनीमिया को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा सात माह से पांच साल के बच्चों को सप्ताह में दो बार वीएचएनडी और यूएचएनडी को आयरन का सीरप पिलाने से काफी हद तक आयरन की कमी दूर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए संतुलित एवं आयरनयुक्त आहार लेने की भी अतिआवश्यकता है। 

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एक दिवसीय प्रशिक्षण में प्रत्येक ब्लॉक से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के नोडल चिकित्सक, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम), एवं आईडीसीएस विभाग की मुख्य सेविकाएं ने प्रतिभाग किया। एसीएमओ एवं आरबीएसके के नोडल अधिकारी डॉ एके मौर्य, न्यूट्रीशनल इंटरनेशनल (एनआई) की मंडलीय समन्वयक सुनीता सिंह और यूनिसेफ के मंडलीय समन्वयक अंजनी राय ने प्रशिक्षित किया। डॉ मौर्य ने बताया कि प्रशिक्षण उपरान्त सभी ब्लॉक में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सभी विद्यालयों के शिक्षकों को नोडल अधिकारियों एवं अन्य प्रतिभागी प्रशिक्षित करेंगे।  

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बड़ागांव के आरबीएसके टीम के नोडल डॉ रितेश गुप्ता ने बताया कि प्रशिक्षण में आयरन फोलिक एसिड सम्पूरक के खाने, उससे होने वाले लाभ एवं इसकी मासिक सूचना के प्रबन्धन इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया गया, साथ ही आवश्यक समग्री भी उपलब्ध करायी गयी। वहीं चोलापुर की बीपीएम प्रेरणा श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षण में 10 से 19 वर्ष तक के सभी किशोर-किशोरियों को विद्यालय में तथा स्कूल न जाने वालो को आंगनबाड़ी केन्द्र पर आयरन की नीली गोली दी जाती हैं। वहीं 6 से 10 वर्ष तक के सभी बच्चों को विद्यालय में तथा स्कूल न जाने वालो को आंगनबाड़ी केन्द्र पर आयरन की गुलाबी गोली प्रत्येक सोमवार को अनिवार्य रूप से खिलाने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गये। 

क्या कहता है एनएफ़एचएस का आंकड़ा – बैठक के दौरान नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफ़एचएस) के आंकड़ों पर भी चर्चा हुई । बताया कि एनएफ़एचएस-4 में 15 से 19 तक की 50.3% किशोरियां एनीमिक थीं जबकि एनएफ़एचएस-5 में 42% देखी गई। वहीं एनएफ़एचएस-4 में 15 से 49 वर्ष तक की 50.9% महिलाएं एनीमिक थीं जबकि एनएफ़एचएस-5 में 37.6% देखी गई।

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