वाराणसी: राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम और क्षय रोग मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सोमवार को मैदागिन स्थित श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान छात्राओं को टीबी रोग के लक्षण, कारण, जांच, उपचार आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई और समुदाय में लोगों को जागरूक करने के लिए प्रोत्साहित भी किया गया।
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जिला क्षय रोग केंद्र की टीम व एसटीएस धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि किसी को दो सप्ताह से अधिक समय तक बुखार/खांसी होना, वजन कम होना, भूख न लगना, रात में पसीना आना, आदि लक्षण वाले लोगों के बलगम में खून आने के लक्षण के आधार पर हर व्यक्ति की सरकारी चिकित्सालयों, स्वास्थ्य केन्द्रों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर निःशुल्क स्क्रीनिंग व जांच की जाती है। संभावित मरीज की माइक्रोस्कोप जांच, सीबीनाट और ट्रूनाट जांच कराई जाती है। जांच में क्षय रोग से प्रभावित पाए जाने पर उनका तत्काल निःशुल्क इलाज शुरू किया जाता है। निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय उपचाराधीनों के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की धनराशि छह माह तक भेजे जाने का भी प्रावधान है।
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उन्होने बचाव, खानपान आदि के बारे में बताया कि खांसते और छींकते समय उनके मुंह पर कपड़ा रखें। धूल मिट्टी वाले रास्तों से गुजरते वक्त मास्क का इस्तेमाल अवश्य कराएं। अस्थमा से पीड़ित बच्चों को धूल-मिट्टी से बचाकर रखें। बच्चों को घरों में डस्टिंग करते, झाड़ू लगाते समय दूर कर दें। प्रोटीन व विटामिन-सी युक्त पौष्टिक आहार, मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन अधिक कराएं और साथ में मौसमी सब्जियों का सूप अवश्य पिलाएं। इस दौरान कॉलेज की प्रधानाचार्य प्रो मिथलेश सिंह, अध्यापक सहित छात्राओं ने ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ के नारे भी लगाए।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि वाराणसी जनपद सहित देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाने की दिशा में निदान, जांच और उपचार के साथ पोषण सहयोग व जन जागरूकता गतिविधियों पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि क्षय रोग मुक्त भारत अभियान के तहत पिछले माह जनपद के 233 टीबी मरीजों को गोद लिया गया था। इस साल अब तक करीब 3500 टीबी मरीजों को विभिन्न संस्थाओं की ओर से गोद लिया जा चुका है। वर्तमान में 8,625 मरीज टीबी की दवा खा रहे हैं। जबकि इस साल जनवरी से मार्च तक 780 टीबी मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुके हैं।
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