वाराणसी:,चेतगंज की रहने वाली 48 वर्षीया सुधा (परिवर्तित नाम) की जांच करने के बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय के सम्पूर्णा क्लीनिक में चिकित्सक ने जब उसे बताया कि गर्भाशय के मुख में हुआ संक्रमण कैंसर में तब्दील हो सकता है तो वह एक बारगी घबरा गयी। सुधा बताती हैं कि कैंसर शब्द कानों में जाते ही पलभर के लिए उसे लगा कि अब उसके सारे सपने बिखर जायेंगे लेकिन डाक्टर ने उसे समझाने के साथ ही उसे फौरन क्रायोथेरेपी” (ठंडी सिकाई) कराने की सलाह दी। महज 15 मिनट की हुई “क्रायोथेरेपी” के बाद डाक्टर ने पुनः जब उसे बताया कि अब वह सर्वाइकल कैंसर के खतरे से फ़िलहाल मुक्त हो चुकी है तब उसे लगा कि उसने एक नया जीवन पाया है। जांच व उपचार में उसका एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ।
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सिर्फ सुधा ही नहीं पं.दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय का सम्पूर्णा क्लीनिक 476 महिलाओें का “क्रायोथेरेपी” कर नया जीवन दे चुका है। सम्पूर्णा क्लीनिक की प्रभारी डा. जाह्नवी सिंह बताती है कि सम्पूर्णा क्लीनिक की शुरुआत वर्ष 2015 में हुई। मकसद महिलाओं को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं देना है। खास तौर पर सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर से सम्बन्धित जांच व उचित उपचार शामिल है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में 5282 महिलाओं ने पंजीकरण कराया। इनमें 4533 के गर्भाशय के मुख की हुई जांच में 199 को प्री-सर्वाइकल कैंसर के लक्षण पाये गये जबकि 11 को सर्वाइकल कैंसर हो चुका था। प्री सर्वाइकल कैंसर के लक्षण वाली 156 महिलाओं की “क्रायोथेरेपी” की गयी। वर्ष 2019 में 5025 पंजीकृत हैं। इनमें 4369 की हुई जांच में नौ को सर्वाइकल कैंसर पाया गया जबकि 169 में प्री-सर्वाइकल कैंसर के लक्षण मिले। इनमें 122 की “क्रायोथेरेपी” हुई। वर्ष 2020 में कोरोना काल के बावजूद 1439 महिलाओं का पंजीकरण हुआ। इनमें 1288 की हुई जांच में दो को सर्वाइकल कैंसर था जबकि 42 महिलाये प्री-सर्वाइकल कैंसर की स्थिति में थी। इनमें 31 महिलाओं की “क्रायोथेरेपी” की गई। वर्ष 2021 में 2521 महिलाओं ने पंजीकरण कराया। इनमें 2340 की जांच हुई। चार महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर हो चुका था जबकि 57 प्री-सर्वाइकल कैंसर की स्टेज में थीं। इनमें 32 की “क्रायोथेरेपी” हुई। डा. जाह्नवी ने बताया कि वर्ष 2022 में अक्टूबर माह तक 3180 महिलाओं ने सम्पूर्णा क्लीनिक में पंजीकरण कराया। इनमें 2783 की हुई जांच में पांच को सर्वाइकल कैंसर पाया गया जबकि 161 प्री-सर्वाइकल कैंसर की स्टेज में मिली। इनमें 135 की “क्रायोथेरेपी”की गयी।
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क्या है सर्वाइकल कैंसर
डॉ. जाह्नवी बताती हैं कि गर्भाशय के मुंख का कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। शारीरिक सम्पर्क के दौरान यह वायरस गर्भाशय के मुख तक पहुंच जाता है और उसे धीरे-धीरे संक्रमित करना शुरू कर देता है। खास बात यह है कि गर्भाशय के मुख में एचपीवी से हुए संक्रमण को कैंसर में तब्दील होने में सामान्यतः दस से बीस वर्ष या इससे अधिक का समय लग जाता है। ऐसे में अगर समय रहते जांच कराकर संक्रमण का उपचार करा लिया जाए तो बच्चेदानी के मुंख के कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है। लिहाजा 30 से 60 वर्ष तक की महिलाओं को समय-समय पर जांच अवश्य करानी चाहिए।
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क्या है “क्रायोथेरेपी”
गर्भाशय के मुख की ठंडी सिकाई को “क्रायोथेरेपी” कहा जाता है। इससे गर्भाशय के मुख में हुए संक्रमण के साथ ही सर्वाइकल कैंसर का खतरा खत्म हो जाता है। इस उपचार के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं होती। गर्भाशय का मुख एचपीवी वायरस से संक्रमित है या नहीं। इसका पता लगाने के लिए वीआईए विधि से जांच की जाती है। इस जांच में भी मात्र दो मिनट लगता है। संक्रमण का पता चलते ही उसी समय गर्भाशय के मुख की “क्रायोथेरेपी” की जाती है जिससे संक्रमण के साथ ही सर्वाइकल कैंसर का खतरा खत्म हो जाता है। उन्होने बताया जांच व “क्रायोथेरेपी” से उपचार की निःशुल्क सुविधा पं.दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के एमसीएच विंग में बने सम्पूर्णा क्लीनिक’ में उपलब्ध है। महिलाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
- मैनोपोज के बाद भी ब्लीडिंग
- पीरियड खत्म होने के बाद भी रक्तस्राव
- यौन सम्बन्ध के बाद रक्तस्राव
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