वाराणसी: सामुदायिक सहयोगियों, जन प्रतिनिधियों, प्रभावशाली व्यक्तियों से सहयोग से जिस तरह पोलियो, कोविड वैक्सीनेशन पर देश ने जीत दर्ज की है, ठीक उसी तरह बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाने वाले टीकाकरण और परिजनों को प्रोत्साहित करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करना जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए ई-कवच पोर्टल पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है।
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उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने सीएमओ कार्यालय स्थित धन्वंतरि सभागार में गुरुवार को यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित ‘नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत सामुदायिक सहयोगियों व प्रभावशाली व्यक्तियों’ के लिए जनपद स्तरीय अभिमुखीकरण कार्यशाला में कहीं।
उन्होने कहा कि शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए बच्चों का समय से टीकाकरण करवाना अतिआवश्यक है। जनपदवासियों से अपील की है कि शुरू में पांच साल में सात टीके जरूर लगवाएं। इसके बाद 10 और 16 साल में टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका भी जरूर लगवाएं। साथ ही सीएमओ ने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में सहयोग देने वाले 50 प्रभावशाली व्यक्तियों, धर्मगुरुओं, जन प्रतिनिधियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। सीएमओ ने सभी को शुभकमनाएं दी और भविष्य में इसी तरह से सहयोग करने की अपील की।
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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा ने कहा कि समाज के आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ मिल सके, इसके लिए विभाग पूरा प्रयास कर रही है। उन्होने प्रभावशाली व्यक्तियों से अपील किया कि बच्चों और उनके परिजनों को प्रोत्साहित कर समय से टीकाकरण सत्र पर जाने के लिए प्रेरित करें। जानकारी के अभाव से परिजन टीकाकरण के लिए आगे नहीं आते हैं। वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ एके पाण्डेय ने दो साल से ऊपर के बच्चों का टीकाकरण और 10 व 16 साल के बच्चों को टीडी का टीका को लेकर एक चुनौतीपूर्ण कार्य बताया। कुछ परिवार टीकाकरण को लेकर असहज महसूस करते हैं और उदासीनता बरतते हुए टीकाकरण में भाग नहीं लेते हैं । ऐसे परिवारों को चिह्नित करते हुए उन्हें जागरूक करें।
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यूनिसेफ के ज़ोनल समन्वयक प्रदीप विश्वकर्मा ने राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत 12 विभिन्न बीमारियों जैसे टीबी, हेपेटाइटिस बी, पोलियो, काली खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस, हिमोफिल्स इफलुएंजा बी, निमोनिया, दस्त, खसरा व रूबेला आदि से बचाव करने वाले सभी टीकाकरण की जानकारी दी। नियमित टीकाकरण नहीं कराने से बच्चे बीमारियों से ग्रसित होते हैं। टीकाकरण के बाद होने वाले सामान्य प्रतिकूल प्रभाव के बारे में जानकारी दी। डॉ शाहिद ने उदासीन परिवारों के प्रति नियमित टीकाकरण मोबिलाइजेशन और संचार व्यवहार परिवर्तन के साथ-साथ माँ का पहला गाढ़ा पीला दूध यानि कोलेस्ट्रम पर चर्चा की। उन्होने कहा कि पहले घंटे के अंदर माँ का गाढ़ा पीला दूध पिलाये जाने के लिए जागरूक करें, क्योंकि यही शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए उसका पहला टीका है। इस दौरान वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ डीएम गुप्ता, जलालीपुरा पार्षद हाजी वकाश अंसारी व अन्य लोगों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए साथ ही उन्होने स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिल रहीं जनमानस को मिल रही सुविधाओं की सराहना की।
कार्यशाला में उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यतीश भुवन पाठक, जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी (डीएचईआईओ) हरिवंश यादव, यूनिसेफ के ज़ोनल को’ओर्डिनेटर प्रदीप विश्वकर्मा, डॉ शाहिद, बीएमसी तवरेज, अभिषेक व अन्य लोग मौजूद रहे।
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