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Wednesday, October 19, 2022

कुपोषण के खतरे से थे अनजान, एनआरसी ने बचा ली बच्चे की जान

वाराणसी: “कुपोषण क्या बला होती है, इससे हम पूरी तरह अनजान थे। हमें यह भी नहीं पता था कि इससे हमारे बच्चे की जान भी खतरे में पड़ सकती है। यह तो अच्छा हुआ कि बच्चे को लेकर हम समय रहते एनआरसी (पोषण एवं पुनर्वास केन्द्र पहुंच गये और हमारे बच्चे की जान बच गयी। आज हमारे आंगन में किलकारी गूंज रही है तो वह एनआरसी की देन है। यूं कहे कि एनआरसी ने हमारे बच्चे को दूसरा जीवन दिया है तो यह कहीं से गलत नहीं होगा। अब पोषक आहार अपने बच्चे को खिलाने के साथ ही इसके महत्व के बारे में दूसरों को भी बतायेंगे।‘’


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यह कहना है उन अभिभावकों का जिनके अति कुपोषित बच्चों को एनआरसी ने मौत के मुंह में जाने से बचाया। धूरीपुर-हरहुआ निवासी रामललित पेशे से मजदूर है। रामललित की पत्नी निशा बताती हैं कि 11 माह का उनका बेटा शीनू हमेशा बीमार ही रहता था। उसे कुछ भी नहीं पचता था और शरीर सूखता जा रहा था। हालत बिगड़ी तो गांव में इलाज कर रहे डाक्टर ने भी जवाब दे दिया। हम लोग रोने लगे, तभी वहां पहुंची आशा दीदी ने उन्हें सहारा दिया। सरकारी अस्पताल ले गयीं तब पता चला कि शीनू अति कुपोषित (सैम) हो चुका है। आशा दीदी ने ही शीनू को एनआरसी में भर्ती कराया। एनआरसी की ही देन है कि अब शीनू पूरी तरह स्वस्थ है। यहां बच्चे के भर्ती रहने के दौरान ही हमने पोषक आहारों के महत्व के बारे में भी जाना। 

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अब हम बच्चे को पोषक आहार ही खिलायेंगे। पोषक आहार हम सब के लिए कितना महत्वपूर्ण है यह दूसरों को भी बतायेंगे ताकि हमारे शीनू की तरह किसी और बच्चे की जान पर संकट न आये। नगवा की रहने वाली सरोज बताती है कि उसकी बेटी सात माह की होने के बाद भी वजन महज तीन किलो था। उल्टी-दस्त से परेशान बेटी का उपचार कराने सरकारी अस्पताल पहुंची तब पता चला कि बेटी अति कुपोषित (सैम) हो चुकी है। एनआरसी में भर्ती होने के बाद उसकी बेटी को नई जिंदगी मिली है। साथ ही पोषक आहार कितना जरूरी होता है, इसका भी पता चला। सरोज कहती है कि बेटी को अब भरपूर पोषक आहार खिलायेंगे ताकि वह हमेशा स्वस्थ रहे।  एनआरसी में भर्ती होने के बाद स्वस्थ हुए शिवपुर निवासी एक वर्षीय आकाश की मां शीला और 11 माह के रमेश की मां निशा का भी यही कहना है कि हम लोग कुपोषण के खतरे से पूरी तरह अनजान थे। बच्चों पर आयी मुसीबत ने हमें पोषक आहार के महत्व से भी परिचित कराया।

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 क्या होता है कुपोषण- पं.दीन दयाल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक व बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरके सिंह कहते है ‘आहार में पोषक तत्वों का ठीक ढंग से शामिल न होना ही कुपोषण की समस्या को जन्म देता है। कुपोषण के कारण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। कुपोषण के कारण बच्चे में एनीमिया, मानसिक विकलांगता जैसी बीमारियां भी होती है। कुपोषण बच्चे की लंबाई और वजन के विकास को बाधित कर उसके बढ़ने क्षमता को सीमित कर देता है। यदि इसका इलाज समय पर नहीं कराया गया तो इसे बाद में ठीक कर पाना मुश्किल होता है। इससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।

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बच्चे को कुपोषित होने से इस तरह बचायें- पोषण एवं पुनर्वास केन्द्र की आहार सलाहकार विदिशा शर्मा कहती हैं- पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन और उचित देखभाल ही बच्चे को कुपोषित होने से बचाता है। शिशुओं के लिए इस बात कर खास तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि उसे छह माह तक मां के दूध के अलावा कुछ भी न दिया जाय। छह माह से दो वर्ष तक के बच्चे को स्तनपान कराने के साथ-साथ ऊपरी पोषक आहार दिया जाना चाहिए। शुरू में उसे फलों का जूस या दाल का पानी चावल का माड़ दिया जा सकता है। चूकि इस समय उसे दांत नहीं निकला होता लिहाजा उसे उबला या भांप में पकाया हुआ सेब, गाजर, लौकी, आलू या पालक आदि मसल कर दे सकते हैं। बाद में उसे दलिया, खिचड़ी, बेसन या आटे का हलुआ भी दिया जा सकता हैै। शिशु को पोषक आहार मिले, इसके लिए एक बेहतर और संतुलित आहार योजना का पालन करना चाहिए। इतना ही नहीं बच्चे के खाने की आदतों पर नजर रखना चाहिए। यदि बच्चा कुपोषण का शिकार होता नजर आता है तो उसका तत्काल उपचार शुरु कराना चाहिए।

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