वाराणसी: आयोडीन की अल्पता से विकार (आयोडीन डिफ़ीसिएन्सी डिसऑर्डर- आईडीडी) को दुनिया भर में प्रमुख पोषण संबंधी विकारों में से एक माना गया है। इसकी रोकथाम के लिए हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन विकार दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जनसमुदाय के बीच जागरूकता पैदा करना और आयोडीन की कमी के परिणामों को उजागर करना है। उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने शुक्रवार को मनाए गए विश्व आयोडीन विकार दिवस पर कहीं।
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उन्होंने कहा कि भारत पहला ऐसा देश है जिसने आयोडीन युक्त नमक के जरिये आयोडीन की कमी से उत्पन्न विकारों को रोकने के लिए वर्ष 1992 में ‘राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम’ शुरू किया। इस दिवस पर ब्लॉक एवं ग्रामस्तर पर आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं एएनएम ने लोगों को जागरूक किया। वर्ष पर्यंत स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवसों पर आने वाली गर्भवती महिलाओं और किशोर युवतियों को आयोडीन की उपयोगिता के बारे में जागरूक किया जाता है। विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों में घर-घर संपर्क के दौरान भी ‘साल्ट टेस्टिंग किट’ के जरिए घरों में उपयोग करने वाले नमक की जांच की जाती है।
आयोडीन की कमी से विकार – सीएमओ ने बताया कि दुनिया भर में प्रति वर्ष लाखों बच्चे सीखने की कमजोर क्षमता के साथ पैदा होते हैं, क्योंकि उनकी माताओं को गर्भावस्था के दौरान भोजन में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती । नमक की कमी से गायटर या घेंघा रोग, मंदबुद्वि, शारीरिक रूप से कमजार, गूंगे-बहरे अथवा अपंग, महिलाओं में गर्भपात की स्थिति, मृत बच्चा पैदा होना, मानसिक विकलांगता, वयस्कों में ऊर्जा की कमी, जल्दी थकावट आदि विकार हो सकते हैं। इन सभी विकारों को जागरूकता से ही दूर किया जा सकता है।
क्या है आयोडीन - आयोडीन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो मानव विकास और बढ़त के लिए आवश्यक है, जिसकी शरीर को विकास एवं जीने के लिए बहुत थोड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। आयोडीन का एक फायदा यह है कि यह थायराइड ग्रंथियों की सुचारु रूप से काम करने में मदद करता हैं और यह ग्रंथिया थाइराइड के हार्मोन्स छोड़ती है। इससे शरीर का मेटाबॉलिक स्तर नियंत्रित रहता है। यह मेटाबॉलिक स्तर शरीर के कई अंगो की कार्यशीलता को प्रभावित करता है जैसे- खाने को पचाने, भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने तथा सोने के चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। इसके अलावा आमतौर पर सामान्य विकास और बढ़त के लिए लगभग 100-150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है और इस आवश्यकता की पूर्ति न होने पर व्यक्ति कई विकारों का शिकार भी बन सकते हैं।
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रोजाना सेवन से होगा लाभ - आयोडीन युक्त नमक रोजाना इस्तेमाल करने से तेज दिमाग, स्वस्थ एवं ऊर्जा से भरपूर शरीर और कार्य क्षमता में भी बढ़ोतरी होती हैं । गर्भवती द्वारा आयोडीन युक्त नमक के इस्तेमाल करने से गर्भपात की समस्या भी नहीं होती है और स्वस्थ बच्चे का जन्म होता हैं । इसके अलावा गर्भ में शिशु का शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण विकास भी होता है ।
एक नजर आंकड़ों पर - राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (एनएफएचएस-4) के अनुसार वाराणसी जिले में 97.3 प्रतिशत ऐसे परिवार रहे, जिन्होने आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल किया जबकि एनएफ़एचएस-5 (2019-21) में कुल 99.9 प्रतिशत परिवार आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल किया है । दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में एनएफ़एचएस-4 में 93.7% और एनएफ़एचएस-5 में 92.3% परिवारों ने आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करते हैं । देखा जाए तो प्रदेश भर के मुक़ाबले वाराणसी की स्थिति काफी बेहतर है।
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