वाराणसी: जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशानुसार जनपद में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) पर पूरा ज़ोर दिया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि बुधवार को काशी विद्यापीठ निवासी बृजेश के ढाई साल के पुत्र रुद्रान्श और आत्मजा की पुत्री प्रीतम (11) को हृदय रोग (कंजीनाइटिल हार्ट डिजीज-सीएचडी) से ग्रसित होने पर निःशुल्क इलाज के लिए चिन्हित अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया।
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सीएमओ ने कहा कि आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत 40 बीमारियों व जन्मजात विकृतियों के लिए निःशुल्क इलाज के लिए शासन की ओर से अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज में निःशुल्क ऑपरेशन की सुविधा प्रदान की जा रही है। उन्होने कहा कि दोनों परिवारों के पास इतना धन नहीं है कि किसी बड़े अस्पताल में इलाज करा सकें। उन्होने बताया कि आरबीएसके के अंतर्गत जनपद में ग्रामीण क्षेत्रों में 16 टीमें कार्यरत हैं जो प्रत्येक गाँव में विजिट कर जन्मजात दोषों की पहचान करती हैं एवं उनके उपचार के लिए प्रयास करती है। आरबीएसके के अंतर्गत विभिन्न जन्मजात दोषों का चिन्हीकरण करके जन्म से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों के उपचार के लिए सरकार द्वारा गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है।
आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ एके मौर्य ने बताया कि कुछ दिवस पूर्व आरबीएसके काशी विद्यापीठ की टीम ने आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चों की स्क्रीनिंग की तो उन्हें रुद्रान्श और प्रीतम के अंदर सीएचडी से लक्षण देखें। परिजनों से बातचीत कर पता चला कि बहुत दिनों से बीमारी को लेकर परेशान थे। लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह इसका खर्च नहीं उठा पा रहे थे। दोनों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय जांच के लिए भेजा गया। जांच में हृदय रोग की बीमारी की पुष्टि हुई और दोनों कोइलाज के लिए चिन्हित किया गया। इसके बाद सीएचडी के लिए चिन्हित अलीगढ़ मेडीकल कॉलेज से निःशुल्क इलाज के लिए अनुमति ली। बुधवारको समस्त कार्रवाई करते हुये निःशुल्क इलाज के लिए अनुमति प्राप्त हो गयी है। अगले कुछ दिनों में रुद्रान्श और प्रीतम का निःशुल्क इलाज होगा। उन्होने बताया कि जन्मजात दोषों में कंजीनाईटल हार्ट डिसीज हृदय की एक गंभीर जन्मजात दोष है। सामान्यतः इसके उपचार में चार से पाँच लाख रुपये का खर्च लगता है, जोकि आरबीएसके योजना के अंतर्गत निःशुल्क इलाज किया जाता है।
डॉ मौर्य ने बताया कि सीएचडी में प्रायः बच्चों में सबसे सामान्य लक्षण हाथ, पैर, जीभ का नीला पड़ जाना, ठीक तरह से सांस न ले पाना और माँ का दूध ठीक तरह से नहीं पी पाना एवं खेल-कूद में जल्दी थक जाना दिखते हैं। इस जन्मजात दोषों से बच्चों को बचाने के लिए गर्भावस्था के प्रारम्भ से तीन माह तक फोलिक एसिड एवं चौथे माह की शुरुआत से प्रतिदिन आयरन एवं फोलिक एसिड की एक-एक लाल गोली खिलाई जानी चाहिए। यदि गर्भवती में खून की कमी (एनीमिया) है तो उसको प्रतिदिन आयरन की दो लाल गोली खानी चाहिए।
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