वाराणसी: राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत इस सप्ताह किशोरी, गर्भवती और धात्री महिलाओं को स्वास्थ्य व पोषण देखभाल के लिए प्रेरित किया जा रहा है। खून की कमी यानि एनीमिया दूर करने के लिए आयरन व प्रोटीन युक्त आहार के साथ-साथ एक मुट्ठी गुड़ और चना के नियमित सेवन की सलाह भी दी जा रही है। गर्भवती व धात्री महिलाओं के साथ ही कुपोषित बच्चों एवं किशोरियों में खून की कमी को दूर करने के लिए आईसीडीएस विभाग इस प्रयास में जुटा हुआ है। यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह का।
डीपीओ ने बताया कि शरीर में खून की कमी हो जाना एक आम समस्या है जिसे यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। कई बार कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए गुड़ और चना (भुना या अंकुरित) खाना पसंद करते हैं। लेकिन इसके अलावा गुड़ और चना एनीमिया रोग को दूर करने में काफी मददगार साबित होता है। संतुलित व स्वस्थ आहार के साथ “एक मुट्ठी गुड़ और चना” के लिए सीडीओ अभिषेक गोयल भी इस बात पर हमेशा ज़ोर देते रहते हैं।
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जनपद के चिन्हित ग्राम सभा व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर “एक मुट्ठी गुड़ और चना” के लिए दीवार लेखन भी कराया गया। काशी विद्यापीठ के कुरहुआं आंगनबाड़ी केंद्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मतीबाला पांडे बताती हैं कि क्षेत्र की किशोरी, गर्भवती व धात्री महिलाओं के साथ उनके परिवार को जागरूक करने के लिए उनके द्वरा दीवार पर यह संदेश लिखा गया। गुड़ और चना के नियमित सेवन से एनीमिया से बचाव के साथ शरीर में आवश्यक उर्जा की पूर्ति होती है। मुड़ादेव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा रानी ने बताया कि गुड़ और चना हमारा क्षेत्रीय भोजन है जो कि आसानी से हर घर में उपलब्ध हो सकता है। एनीमिया के कारण शरीर में थकान, कमजोरी व चिड़चिड़ापन आता है। अगर नियमित रूप से एक मुट्ठी चना और एक भेली गुड़ का सेवन करते हैं तो एनीमिया से मुक्त रहेंगे।
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क्या है एनीमिया - रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाला एनीमिया रोग ज्यादातर महिलाओं और किशोरियों में देखने को मिलता है। खास तौर से आयरन की कमी के कारण यह समस्या सामने आती है जिसमें थकान, चिड़चिड़ाहट और कमजोरी महसूस होना आम बात है। ऐसे में महिलाएं आयरन से भरपूर आहार का सेवन करें जिससे हीमोग्लोबिन का स्तर कम न हो। गुड़ और चना खाने से आयरन अधिक मात्रा में मिलता है। गुड़ में उच्च मात्रा में आयरन होता है और भुने हुए चने में आयरन के साथ-साथ प्रोटीन भी सही मात्रा में पाया जाता है। इस तरह से एक मुट्टी रोज़ गुड़ और चने को मिलाकर खाने से पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है।
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क्या कहते हैं आंकड़े - नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस-4) 2015-16 के आंकड़े के अनुसार जनपद में 15 से 49 साल के मध्य उम्र वाली 50.9% महिलाए एनीमिक थीं जबकि एनएफ़एचएस-5 (2019-21) में कम होकर 37.6% हो गयी। एनएफ़एचएस-4 के अनुसार जिले की 15 से 19 साल की 50.3 % किशोरियाँ एनीमिक थीं। जबकि एनएफ़एचएस-5 में यह कम होकर 42% रह गयी है। देखा जाए तो महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया के स्तर पर सुधार हो रहा है।
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