वाराणसी: जिले में अवैध रूप से संचालित निजी चिकित्सालयों, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी सेंटर पर जिला प्रशासन लगातार नजर बनाए हुए हैं। इसी क्रम में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समस्त निजी चिकित्सालयों को निर्देशित किया कि वह इस माह के अंत तक हर हालत में पंजीकरण व नवीनीकरण करा लें। साथ ही जनपदवासियों से अपील की है कि सरकारी चिकित्सालयों अथवा पंजीकृत निजी चिकित्सा प्रतिष्ठानों में ही उपचार कराएं।
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जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि जनपद के ऐसे संचालक प्रबन्धक जिन्होंने अभी तक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में चिकित्सा प्रतिष्ठान का नवीनीकरण या पंजीकरण नहीं कराया है, तो वह 31 अगस्त 2022 तक समस्त आवश्यक मानकों के प्रपत्रों सहित ऑनलाईन आवेदन करते हुये नवीनीकरण या पंजीकरण अवश्य करा लें। निर्धारित अवधि तक नवीनीकृत/पंजीकरण न कराये गये चिकित्सा प्रतिष्ठानों को निर्देशित किया जाता है कि चिकित्सा प्रतिष्ठान में भर्ती मरीजों को मानवीय एवं चिकित्सीय दृष्टिकोण के आधार पर अन्य वैध चिकित्सा प्रतिष्ठान में भर्ती व संदर्भित करने के साथ ही चिकित्सा प्रतिष्ठान का संचालन भी बन्द कर दें। सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत/नवीनीकृत कराये गये चिकित्सा प्रतिष्ठानों के अतिरिक्त अवैध रूप से चिकित्सा प्रतिष्ठानों का संचालन पाये जाने पर उनके विरुद्ध आवश्यक विधिक कार्रवाई की जायेगी।
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सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि नागरिकों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा पंजीकृत व योग्य चिकित्सकों से मिले इसके लिए पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों की सूची तैयार की गई है। जिले में कुल 582 चिकित्सा प्रतिष्ठान पंजीकृत हैं । इनमें शहरी क्षेत्र में 370 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 212 चिकित्सा प्रतिष्ठान शामिल हैं। इसमें 50 बेड या उससे अधिक क्षमता वाले 35 निजी चिकित्सालय सम्मिलित हैं।
सीएमओ ने कहा कि वैसे तो सरकारी चिकित्सालयों में चिकित्सा की निःशुल्क व्यवस्था है। इसके बावजूद यदि कोई व्यक्ति निजी चिकित्सालय में अपना उपचार अथवा जांच कराना चाहता है तो उसे इसके लिए पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों में ही जाना चाहिए। उपचार कराने के लिए जाने से पहले सभी को यह देखना चाहिए कि वह जहां उपचार कराने जा रहे हैं वह पंजीकृत है अथवा नहीं। चिकित्सा प्रतिष्ठान यदि पंजीकृत नहीं है तो वहां उपचार कराने से बचना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति किसी बिना पंजीकृत चिकित्सा संस्थान में अपना इलाज कराता है तो किसी प्रकार की अनहोनी होने पर शासन-प्रशासन जिम्मेदार नहीं होगा।
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