वाराणसी: कुपोषण की जद से मुक्ति दिलाकर बच्चों को 'सुपोषित बनाने में जुटा है पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय स्थित ‘पोषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी)। सात वर्ष के भीतर यह केन्द्र एक हजार बच्चों को सुपोषित बनाकर उन्हें नया जीवन दे चुका है। ‘पोषण पुनर्वास केन्द्र’ का यह प्रयास आगे भी जारी है।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी का कहना है कि कुपोषण की रोकथाम आज के समाज में एक बड़ी चुनौती है। सरकार इसके लिए लगातार प्रयासरत है। कुपोषण के खिलाफ शुरू की गयी जंग के तहत ही वर्ष 2015 में पं. दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में ‘पोषण पुनर्वास केन्द्र की स्थापना की गयी थी। वर्तमान में पोषण पुनर्वास केन्द्र अस्पताल परिसर में नवनिर्मित एमसीएच विंग में चल रहा है। वह बताते हैं कि केंद्र का मुख्य उद्देश्य कुपोषित और अति-कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाना है।
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निःशुल्क उपचार-
पं. दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. आर.के.सिंह कहते हैं कि दस बेड वाले इस विशेष केन्द्र में कुपोषित पांच वर्ष तक के बच्चों का निःशुल्क उपचार किया जाता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम, आंगनबाड़ी या आशा कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों को पहचान कर एनआरसी में भर्ती कराते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ बच्चे विभिन्न सरकारी अस्पतालों से रेफर होकर भी यहां लाये जाते हैं। कुपोषित इन बच्चों को 14 दिनों तक इस केन्द्र में रखकर सुपोषित बनाने का प्रयास किया जाता है। पोषण पुनर्वास केन्द्र के प्रभारी डा. सौरभ सिंह बताते हैं कि वर्ष 2021 में इस केन्द्र में 73 बच्चे भर्ती हुए। इस वर्ष माह जनवरी से जुलाई तक कुल 102 बच्चे यहां भर्ती कराये गये। इनमे जनवरी में एक, फरवरी में 20, मार्च में सात, अप्रैल में 14, मई में 26 जून में 18 जुलाई में 16 बच्चे यहां भर्ती किये गये । वर्त्तमान में यहाँ छह बच्चे भर्ती हैं। भर्ती हुए बच्चे को दवाओं के साथ-साथ पोषक आहार भी प्रदान किया जाता है। उसे उचित मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन व खनिज तत्वों से भरपूर आहार प्रदान किया जाता है। बच्चे को उचित मात्रा में पोषक आहार मिले इसके लिए प्रत्येक बच्चे को दिये जाने वाले आहार पर केन्द्र की आहार परामर्शदाता (डायटीशियन) विदिशा शर्मा नजर रखती हैं। वह बताते हैं कि बच्चे को दिये जाने वाला आहार केन्द्र में ही तैयार किया जाता है। निर्धारित समय पर पोषक आहार बच्चे को यहां तैनात नर्स प्रदान करती हैं। इतना ही नहीं बच्चे के साथ रहने वाले किसी एक अभिभावक को भी निःशुल्क भोजन प्रदान किया जाता है। बच्चा जितने भी दिन इस केन्द्र में भर्ती रहता है उसके अभिभावक को प्रतिदिन पचास रुपये के हिसाब से श्रमह्रास भत्ते दिये जाते हैं। फालोअप पर आने के दौरान अभिभावक को 150 रुपये प्रदान किये जाते हैं।
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बच्चों के लिए खिलौने की भी व्यवस्था-
पोषण पुनर्वास केन्द् में भर्ती बच्चों का मन बहलाने की भी पूरी व्यवस्था है। यहां बच्चों के लिए तरह-तरह के खिलौने भी रखे गये हैं। पूरी तरह पारिवारिक माहौल में बच्चे का उपचार हो सके, इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है। परिवार वालों को घर पर बच्चे की सही देखभाल के बारे में भी बताया जाता है। एनआरसी में भर्ती पांच माह की जाह्नवी की मां रेनू (लहरातारा-निवासी) बताती हैं कि उनकी बेटी लगातार कमजोर होती जा रही थी। यह देख आशा कार्यकर्ता ने विद्यापीठ ब्लाक स्थित स्वास्थ्य केन्द्र ले जाकर बच्चे की जांच करायी। उसके कुपोषित होने पर उसे एनआरसी में भर्ती कराया गया। केन्द्र पर भर्ती कराते समय बच्ची का वजन महज दो किलो 920 ग्राम था, छह दिनों में ही उसकी सेहत में सुधार होकर वजन तीन किलो 70 ग्राम हो चुका है। चौबेपुर निवासी रीना ने बताया कि कुपोषण का शिकार होने के कारण उन्होंने अपने बेटे आयुष (11 माह) को एनआरसी में भर्ती कराया है। यहां दवा व उपचार निःशुल्क हो रहा है। साथ ही पौष्टिक आहर भी मुफ्त मिलता है। उन्होंने बताया कि उपचार के चलते उनके बेटे की स्थिति में काफी सुधार है। उसका वजन तेजी से बढ़ रहा है।
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कुपोषण की रोकथाम के लिये जारी है अभियान-
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि कुपोषण की रोकथाम के लिये जिले में अभियान जारी है। इसके तहत अति कुपोषित व कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन कर उपचार कराने के साथ ही जरुरत के अनुसार उन्हें एनआरसी में भर्ती कराने के निर्देश दिए गये हैं। इसके लिए आरबीएसके टीम के साथ ही आँगनबाडी, आशा कार्यकर्ता व अन्य स्वास्थ्यकर्मी लगातार प्रयासरत हैं।
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