वाराणसी: 01 जुलाई 2022 - बच्चों के बेहतर भविष्य एवं सुपोषित समाज के लिए पोषण अत्यन्त आवश्यक है। कुपोषण की रोकथाम में सबसे बड़ी चुनौती समाज, परिवार एवं व्यक्ति के स्तर पर पोषण सम्बन्धी मौजूदा व्यवहारों, धारणाओं एवं मिथकों में परिवर्तन लाना है। इसी उद्देश्य से बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से जिले में शुक्रवार से 'सम्भव' (SAMbhav) अभियान की शुरुआत की गयी है। यह अभियान अगले दो माह यानि 30 सितंबर तक चलेगा। इस अभियान में पोषण व स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न जनजागरूक गतिविधियाँ नगर सहित सभी विकास खंडों में की जाएंगी। यह जानकारी मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक गोयल ने दी।
सीडीओ ने कहा कि पिछले वर्ष सम्भव अभियान एक नवाचार के रूप में प्रारम्भ किया गया था. जिसमें विशेष रूप से अति कुपोषित (सैम) एवं कुपोषित (मैम) बच्चों का सही चिन्हांकन, उपचार, सन्दर्भन एवं समुदायिक स्तर पर उनके प्रबन्धन के साथ कुपोषण की रोकथाम के लिए व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया था। इस अभियान की सफलता व परिणाम के आधार पर 01 जुलाई से 30 सितम्बर तक 'सम्भव' अभियान की पुनः शुरुआत की गयी है। उन्होने कहा कि इस अभियान में अग्रिम पंक्ति की कार्यकर्ताओं द्वारा कुपोषित, अति कुपोषित, गम्भीर अल्प वजन एवं जन्मे कम वजन के बच्चों के चिन्हांकन, सन्दर्भन, उपचार एवं प्रबन्धन के साथ कुपोषण से बचाव के लिए भी सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। बच्चों की नामवार सूची गांव की आशा, ए०एन०एम०, ग्राम प्रधान एवं सम्बन्धित कन्वर्जेन्स विभागों के साथ साझा करेंगी। इन बच्चों को स्वास्थ्य जाँच के लिए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वी.एच.एस.एन.डी.) पर लेकर आयेंगी। जो बच्चे गंभीर होंगे, उन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्र अथवा ब्लॉक चिकित्सा ईकाई पर भेजा जाएगा।
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जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि इस अभियान को तीन मुख्य मासिक थीम एवं साप्ताहिक थीम के रूप में विभाजित किया गया है। जुलाई को स्तनपान प्रोत्साहन माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसके अंतर्गत प्रत्येक सप्ताह स्तनपान से जुड़ी जन जागरूक गतिविधियां की जाएंगी। अगस्त को ऊपरी आहार माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसके तहत प्रत्येक सप्ताह ऊपरी और अर्ध ठोसाहार के बारे में जागरूक किया जाएगा। अगस्त में ही पोषण चौपाल का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही सितंबर को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें हर सप्ताह पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता व शिक्षा से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। सुपोषण दिवस का पोषण उत्सव व पोषण पंचायत का आयोजन होगा। अभियान की मासिक थीम पर विषय-विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक परामर्श के लिए ‘पोषण पाठशाला’ का आयोजन भी किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका मासिक थीम के आधार पर गृह भ्रमण कर समुदाय को जागरूक करेंगी।
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डीपीओ ने बताया कि आईसीडीएस विभाग को इस अभियान का नोडल विभाग बनाया गया है। अभियान के सफलतापूर्वक संचालन में स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग (मनरेगा व अजीविका मिशन), शिक्षा, खाद्य एवं रसद, पशुपालन, उद्यान एवं आयुष विभाग के साथ संस्थाएं भी समनव्य स्थापित कर सहयोग करेंगी। इसमें स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों की वीएचएनडी के माध्यम से जांच व आवश्यकतानुसार उपकेंद्र या एनआरसी भेजना सुनिश्चित करेंगे। गर्भवती के प्रसव पूर्व जांच के साथ आयरन फॉलिक एसिड, कैल्शियम एवं एल्बेण्डाज़ोल की गोलियों का वितरण सुनिश्चित करेंगी। वहीं शिक्षा विभाग हर माह स्कूलों में पोषण परामर्श सत्र का आयोजन करेंगे। छात्र-छात्राओं को साप्ताहिक आयरन और छमाही एल्बेण्डाज़ोल गोली खिलाएंगे।
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