वाराणसी: शिवपुर की रहने वाली 45 वर्षीया ममता (परिवर्तित नाम) की जांच रिपोर्ट देखने के बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में चिकित्सक ने गर्भाशय के मुख के कैंसर से पीड़ित होने की जानकारी पति को दी तो पता चलते ही ममता फफक कर रोने लगी। ममता को अफसोस इस बात का था कि अनियमित रक्तस्राव से पीड़ित होने पर पांच वर्ष पूर्व जब वह इसी अस्पताल में दिखाने के लिए आयी थीं तभी डाक्टर ने अगाह करते हुए जांच कराने की सलाह दी थी। घरेलू जिम्मेदारियों को निभाने के चक्कर में उसने अगर खुद के प्रति लापरवाही न बरती होती और महज दो मिनट की जांच कराकर उपचार कराया होता तो वह निश्चित रूप से इस गंभीर बीमारी से बच सकती थी।
पं. दीन दयाल चिकित्सालय में स्थित ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ की प्रभारी डा. जाह्नवी सिंह कहती हैं कि ममता की ही तरह अपने स्वास्थ्य के प्रति अन्य महिलाओं के भी लापरवाह रहने का ही नतीजा है कि गर्भाशय के मुख कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है । महिलाएं परेशानियों की अनदेखी करते हुए चिकित्सक के पास अधिकतर तब जाती हैं जब वह या तो कैंसर की चपेट में आ चुकी होती हैं अथवा उनके गर्भाशय के मुख में हुआ संक्रमण कैंसर में तब्दील होने की स्थिति में होता है।
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क्या है सर्वाइकल कैंसर-
डॉ. जाह्नवी बताती हैं
कि गर्भाशय के मुंख का कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता
है। शारीरिक सम्पर्क के दौरान यह वायरस गर्भाशय के मुख तक पहुंच जाता है और उसे
धीरे-धीरे संक्रमित करना शुरू कर देता है। खास बात यह है कि गर्भाशय के मुख में
एचपीवी से हुए संक्रमण को कैंसर में तब्दील होने में सामान्यतः दस से बीस वर्ष या
इससे अधिक का समय लग जाता है। ऐसे में अगर समय रहते जांच कराकर संक्रमण का उपचार
करा लिया जाए तो बच्चेदानी के मुंख के
कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है। लिहाजा 30 से 60 वर्ष तक की महिलाओं को समय-समय पर जांच अवश्य करानी चाहिए
ताकि उन्हें एचपीवी संक्रमण है तो उपचार कर उसे फौरन खत्म किया जा सके। निःशुल्क
जांच व उपचार की सुविधा पं.दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के एमसीएच विंग
में बने ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ में उपलब्ध है। महिलाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए। इसके अलावा
अन्य सरकारी अस्पतालों में भी यह जांच
करायी जा सकती है।
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दो मिनट की जांच, साथ ही फौरन उपचार-
डा. जाह्नवी बताती हैं कि गर्भाशय का मुख एचपीवी से संक्रमित है या नहीं इसकी जांच
वीआर्इए विधि से मात्र दो मिनट में होती है। संक्रमण का पता चलते ही उसी समय गर्भाशय
के मुख की ठंडी सिकाई (क्रायोथैरेपी) की जाती है जिससे संक्रमण के साथ ही सर्वाइकल
कैंसर का खतरा खत्म हो जाता है। इस उपचार के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने
की जरूरत भी नहीं होती। जांच व थैरेपी में लगे 20 मिनट से भी कम
समय के बाद वह घर जा सकता है।
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छह माह में 86 रोगियों को प्री कैंसर
/कैंसर के खतरे से किया दूर-
पं. दीन दयाल चिकित्सालय के एमसीएच विंग में संचालित
सम्पूर्णा क्लीनिक की प्रभारी डा. जाह्नवी बताती हैं कि इस वर्ष अब तक 2206 महिलाओं की वीआईए जांच की गयी इनमें संक्रमित 86 महिलाओं की क्रयोथैरेपी कर उन्हें सर्वाइकल कैंसर होने के
खतरे से दूर कर दिया गया जबकि चार केस ऐसे जिन्हें यह कैंसर हो चुका था, उन्हें उपचार के लिए उच्च
संस्थानों में रेफर कर दिया गया।
सर्वाइकल कैंसर के
लक्षण-
- मैनोपोज के बाद भी ब्लीडिंग
- पीरियड खत्म होने के बाद भी रक्तस्राव
- यौन सम्बन्ध के बाद रक्तस्राव
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