वाराणसी: वर्ष 2022 - वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त करने की दिशा में सरकार लगातार प्रयासरत है। हाल ही में बनाए गए जिले के 13 टीबी (क्षय रोग) चैम्पियन समुदाय में क्षय उन्मूलन के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही क्षय रोग से ग्रसित मरीजों का उनके उपचार में सहयोग कर रहे हैं। इस क्रम में विभाग ने नई पहल शुरू की है। यह सभी टीबी चैंपियंस अब टीबी यूनिट, जिला अस्पताल व सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीबी चैम्पियन का पोस्टर चिपका रहे हैं। यह जानकारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राहुल सिंह ने दी।
डॉ राहुल सिंह ने बताया कि पोस्टर में प्रमुख
संदेश लिखा है ‘जंग तो जीती टीबी से, कुछ खो के हमने पाया है। बनके टीबी चैपियंस, अब मदद का जज्बा जागा है। साथ ही पोस्टर में उनका फोन नंबर भी लिखा
गया है, जिससे टीबी मरीज को
परेशानी होने पर वह टीबी चैंपियंस से अपने मन की बात कहकर परेशानी दूर कर सकें।
उन्होने बताया कि पूर्व में जनपद के सभी टीबी चैम्पियन को प्रशिक्षण दिया जा चुका
है, जिससे टीबी मरीजों
के उपचार व सहयोग के साथ-साथ समुदाय का भी व्यवहार परिवर्तन कर सकें। उन्होने कहा
कि टीबी का इलाज संभव है, सही समय पर इसका
उपचार करवाया जाए और समय से दवाइयों का सेवन किया जाए तो क्षय रोगी आसानी से
स्वस्थ हो सकते हैं। समाज में अब भी टीबी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं। इन
भ्रांतियों को दूर करने और क्षय रोगियों का मनोबल बढ़ाने के लिए जनपद में टीबी
चैंपियन अपना अनुभव साझा कर रहे हैं। वह उन्हें बता रहे हैं कि टीबी का उपचार संभव
है। साथ ही क्षय रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों को जोखिम, उपचार आदि के बारे में विस्तार से बता रहे
हैं और टीबी को देश से खत्म करने में अहम योगदान दे रहे हैं।
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जिला पीपीएम समन्वयक नमन गुप्ता ने बताया कि टीबी
यूनिट, जिला अस्पताल व
सीएचसी-पीएचसी पर उस क्षेत्र के टीबी चैम्पियन का पोस्टर लगाकर टीबी चैंपियंस का
नंबर और नाम लिखा गया है। उस नंबर पर टीबी चैंपियंस को फोन करके दवा सहित टीबी के
बारे में जानकारी सहित अन्य बातों के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इससे टीबी
मरीजों को हौसला मिलेगा और उन्हें स्वस्थ होने में सहायता मिलेगी।
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टीबी चैंपियन धनंजय कुमार ने बताया कि बहुत समय
पहले मुझे क्षय रोग हुआ था लेकिन नियमित और पूरी दवा के सेवन और पोषण युक्त खानपान
से मैंने टीबी को मात दी। पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद टीबी चैंपियन के रूप में
सक्रिय टीबी मरीजों की मदद कर रहे हैं। वह बताते हैं कि उन्हें अपने अनुभव के कारण
टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग व काउंसलिंग करने में काफी सहायता होती है। लोगों का भी
सकारात्मक व्यवहार देखने को मिल रहा है।
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टीबी चैंपियन
मोहम्म्द अहमद ने बताया कि टीबी यूनिट में काम करते हुये कब टीबी हो गयी उन्हें
पता ही नहीं चला। लेकिन स्क्रीनिंग, जांच आदि के बाद टीबी की पुष्टि हुई। दवा
का पूरा कोर्स लिया, खानपान में ध्यान
दिया और टीबी को अपने से दूर किया। वह समझते हैं कि टीबी मरीजों को काउंसलिंग की
काफी जरुरत होती है। मैं अब टीबी मरीजों की काउंसलिंग कर रहा हूं तो मुझे काफी
अच्छा लगता है।
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