वाराणसी: 17 जून 2022 को परिवार कल्याण कार्यक्रम की सुविधाओं को समुदाय तक पहुंचाने के लिए जागरूकता और प्रोत्साहन की बेहद आवश्यक है। परिवार नियोजन के लिए बास्केट ऑफ चॉइस यानि स्थायी और अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों की पहुँच बढ़ाना जरूरी है। नवीन व आधुनिक गर्भ निरोधक साधनों के उपयोग से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। वर्तमान में जारी हुये राष्ट्रीय फॅमिली हेल्थ सर्वेक्षण (एनएफ़एचएस), सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वेक्षण (एसआरएस) और हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के अनुसार में गर्भ निरोधक साधनों में निरंतर गुणवत्तापूर्ण सुधार हुआ है। लेकिन हमें जमीनी स्तर पर सुविधाओं के लिए अनुश्रवण व मूल्यांकन करना बेहद आवश्यकता है।
यह बातें परिवार कल्याण एवं मातृत्व स्वास्थ्य, भारत सरकार के वरिष्ठ सलाहकार डॉ एसके सिकदर ने गुरुवार को कैंटोमेंट स्थित होटल में एक दिवसीय परिवार कल्याण की क्षेत्रीय समीक्षा बैठक व अभिमुखीकरण कार्यशाला में कहीं। यह कार्यशाला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित की गयी। डॉ सिकदर ने कहा कि प्रदेश में अभी भी कम उम्र में महिलाओं की शादी हो रही हैं जिसके चलते वह समय से पूर्व गर्भधारण कर रही हैं। परिवार नियोजन की सेवाओं का उपयोग कर गर्भधारण के समयांतराल को बढ़ाया जा सकता है, जिससे उच्च जोखिम गर्भावस्था, पोषण में कमी और कम उम्र में बच्चों को जन्म देने से बचाया जा सकता है।
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एनएफ़एचएस-5 (2019-21) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 15 से 19 साल के आयु वर्ग में एमसीपीआर 20.4%, पारंपरिक/आधुनिक साधन 9.8% और अनमेट नीड 18.7% है। वहीं 20 से 24 साल के आयु वर्ग में एमसीपीआर, पारंपरिक/आधुनिक साधन और अनमेट नीड क्रमशः 28.6%, 13.6% एवं 18.6% है। यूपी में सालाना करीब 18 लाख लड़कियों की शादी कम उम्र में हो रही हैं। एनएफ़एचएस-4 (2015-16) के अनुसार पूरे यूपी में 71 करोड़ लोगों ने गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग किया वहीं एनएफ़एचएस-5 में 74.5 करोड़ लोगों ने उपयोग किया। वर्ष 2021 में पूरे यूपी में करीब 1.91 करोड़ लोगों ने गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग किया। इस तरह से देखा जा सकता है कि यूपी में गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग बढ़ा है। इसके साथ ही डॉ सिकदर ने एनएफएचएस-5 में परिवार नियोजन कार्यक्रम में वाराणसी जनपद के सभी सूचकांक में हुए गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए सराहना की और इसको निरंतर बनाए रखने के लिए कहा।
इस मौके पर महाप्रबंधक, परिवार कल्याण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश डॉ रिंकू श्रीवास्तव ने परिवार कल्याण कार्यक्रम सुदृढ़ीकरण व जनसंख्या नीति वर्ष 2021-30 पर रणनीतियों को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होने कहा कि जनसंख्या नीति (2021-30) का मुख्य उद्देश्य - प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य को हासिल करना, मातृ मृत्यु और रुग्णता को खत्म करना, जन्म से पाँच वर्ष तक के नवजात, शिशु और बाल मृत्यु दर में निरंतर कमी लाना और पोषण स्तर में सुधार लाना, किशोरावस्था के लिए यौन, प्रजनन स्वास्थ्य व पोषण में सुधार लाना एवं वृद्धजन की देखभाल और उनके कल्याण में सुधार लाना है।
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इसके साथ ही परिवार कल्याण निदेशालय की निदेशक डॉ संगीता श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक परिवार कल्याण निदेशालय डॉ अश्वनी कुमार, नेशनल प्रोफेशनल ऑफिसर डॉ प्रगति सिंह, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के परिवार कल्याण की नेशनल सीनियर कंसल्टेंट डॉ निधि भट्ट, सीनियर कंसल्टेंट परिवार कल्याण डॉ मिथुन दत्ता, परिवार कल्याण लोजीस्टिक मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम के नेशनल कंसल्टेंट नदीम अख्तर ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से परिवार कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत आधुनिक अस्थायी व स्थायी गर्भ निरोधक साधनों के उपयोग की समीक्षा करते हुये कार्यशाला में 26 जनपदों के अधिकारियों को सुधारात्मक उपायों से अवगत कराया।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथियों एवं अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्वल्लित और पौधा प्रदान कर की गई। वाराणसी के सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने कार्यक्रम की मेजबानी करते हुये समस्त सीएमओ सहित अन्य अधिकारियों का स्वागत व आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही उन्होने वाराणसी जनपद की परिवार कल्याण की उपलब्धियों के बारे में अवगत कराया। इस कार्यक्रम में सहयोग कर रहे हेल्थ पार्टनर संस्थाओं बीएमजीएफ़, यूपीटीएसयू, डब्ल्यूएचओ, पीएसआई इंडिया, सीफार ममता, की सराहना की गई। कार्यशाला में वाराणसी सहित गोरखपुर, आजमगढ़, प्रयागराज, बस्ती, मिर्ज़ापुर व अयोध्या मण्डल के जनपदों से आए सीएमओ, एसीएमओ, एनएचएम यूपी से आए राज्य परिवार कल्याण परामर्शदाता, समस्त मंडलीय व जिला कार्यक्रम प्रबन्धक, जनपदों के एफ़पीएलएमआईएस मैनेजर एवं संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
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