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Monday, May 2, 2022

भगवान शिव को समर्पित तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर तंजोर, रहस्यमयी ग्रेनाइट से हुआ था निर्माण

विश्व में बृहदेश्वर मंदिर दक्षिण भारत में स्थित प्राचीन वास्तु कला का एक अद्भुत मंदिर है पूरी दुनिया में यह अपनी तरह का पहला ऐसा मंदिर है जो कि पूरी तरह से ग्रेनाइट का बना हुआ हैभगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूरी होती है लाखों शिव भक्त देश के प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भोले शंकर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जो अपनी वास्तुकला और सुंदरता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. ऐसा ही एक मंदिर तमिलनाडु के तंजोर जिले में स्थित है जो कि भगवान शिव को समर्पित है




इस मंदिर को बृहदेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। बृहदेश्वर मंदिर दक्षिण भारत में स्थित प्राचीन वास्तु कला का एक अद्भुत मंदिर है। पूरी दुनिया में यह अपनी तरह का पहला ऐसा मंदिर है जो कि पूरी तरह से ग्रेनाइट का बना हुआ है। यही वजह है कि इसको यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुरकला का बेमिसाल उदाहरण है, इसे देखकर लोग दंग रह जाते हैं. 13 मंजिला बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। 

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भगवान शिव का यह मंदिर 11वीं सदी में बनना शुरू हुआ था और पांच वर्ष के भीतर ही इसका निर्माण हो गया था। मंदिर का निर्माण 1003-1010 ईसवी के बीच चोल शासक प्रथम राजराज चोल ने करवाया था। उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मंदिर का भी नाम दिया गया है। राजराज प्रथम शिव के परम भक्त थे इसी कारण उन्होंने कई शिव मंदिरं का निर्माण करवाया था, लेकिन अपने साम्राज्य को ईश्वर का आशीर्वाद दिलवाने के लिए राजराज चोल ने खासतौर पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

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बृहदेश्वर मंदिर में नियमित रूप से जलने वाले दियों के घी की पूरी आपूर्ति के लिए सम्राट राजराज ने मंदिर में 4000 गायें, 7000 बकरियां, 30 भैंसें व 2500 एकड़ जमीन दान की थी। आपको बता दें कि बृहदेश्वर मंदिर इतना बड़ा है कि तंजोर के किसी भी कोने से इसको आप आसानी से देख सकते हैं। इस मंदिर का 13 मंजिल भवन सबको अपनी ओर आकर्षित करता है।

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बृहदेश्वर मंदिर तंजोर की खासियत

बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण 1,30,000 टन ग्रेनाइट से किया गया है। यह ग्रेनाइट कहां से आया, यह आज तक रहस्य ही है। यह मंदिर 240.90 मीटर लंबा और 122 मीटर चौड़ा है। मंदिर के विशाल गुम्बद का आकार अष्टभुजा वाला है, इसको ग्रेनाइट के एक शिला खण्ड में रखा गया है। इसका घेरा 7.8 मीटर और वजन 80 टन है। मंदिर के चबूतरे पर 6 मीटर लंबी व 2.6 मीटर चौड़ी तथा 3.7 मीटर लंबी नंदी की प्रतिमा बनाई गई है।


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