वाराणसी: 3 मई चंदौली जनपद के सैयद राजा थाना अंतर्गत मन राजपुर गांव में हुई पुलिस की दरिंदगी एक बेहद अमानवीय घटना है , जिसमें दबिश के नाम पर घर में घुस कर पुलिस द्वारा एक बेटी को पीट पीट कर मार डाला जाता है और एक को पीटर कर मरणासन्न कर दिया जाता है. ऐसी लोमहर्षक घटना शासन प्रशासन तथा सरकार के मुंह पर एक बदनुमा दाग है।
घटना पर प्रतिक्रिया ब्यक्त करने वाले बयान में आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की ओर से घटना की कटु निंदा करते हुए कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. एक तरफ जहां अपराधियों का मनोबल पूरी तरह बढ़ा हुआ है जिसके चलते हुए वे आये दिन जघन्य अपराधिक घटनाओं को ताबड़तोड़ अंजाम दे रहे हैं तो दूसरी तरफ कानून का राज स्थापित करने का दावा करने वाली सरकार की पुलिस पूरी तरह निरंकुश और संवेदनहीन बन चुकी है जो अतिशय चिंता का विषय है।
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सरकार दावे बड़े-बड़े करती है पर उसका नियंत्रण ना तो बेलगाम नौकरशाही पर है, और ना ही वर्दी की आड़ में गुंडा बन चुकी पुलिस पर है. जिसका दुष्परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। चंदौली की घटना इसका जीवन्त उदाहरण है , इस अमानवीय घटना पर भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग को स्वतः संज्ञान लेकर अविलम्ब कडी कार्यवाही करनी चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाएं लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून के राज की जगह एक दमनकारी राज्य का स्वरूप प्रस्तुत करती हैं।
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हम लोग राज्य सरकार तथा मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग से पुरजोर अपील करते हैं कि इस दर्दनाक दुखदाई और घोर निंदनीय घटना को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार पुलिस कर्मियों को जांच करके कठोरतम सजा दिलवाई जाए ताकि आम जनता का विश्वास शासन प्रशासन पर कायम रह सके और पीड़ित पक्ष को पूरी तरह न्याय मिल सके ।
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बयान में आगे कहा गया है कि यह कहां तक उचित था कि एक थाने का मनबढ़ इंस्पेक्टर अपने दर्जनों दर्जनों साथियों के साथ दबिश के नाम पर रात में किसी के घर में घुस जाए जहां कोई पुरुष ना हो केवल महिलाएं और बेटियां हों और उनके साथ इस तरह का दहशत गर्द व्यवहार करे। सोचने वाली बात है कि क्या ऐसी मानसिकता रखने वाले पुलिस कर्मियों को नौकरी में रखने लायक माना जा सकता है ,,? अगर समाज में ऐसे ही होता रहा तो आम जनता का क्या होगा? बयान में सभी दोषी पुलिसकर्मियों के प्रति निष्पक्ष और न्यायिक जांच कराकर कठोरतम कार्यवाही किए जाने, उनके विरुद्ध हत्या और हत्या करने की कोशिश जैसे संगीन आरोपों में मुकदमा चलाए जाने जाने की मांग के साथ साथ पीड़ित परिवार को भरपूर मुआवजा देने की भी मांग की गई है।
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बयान देने वालों में प्रमुख रूप से सर्वश्री विजय शंकर पांडे, पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी, राधेश्याम सिंह बैजनाथ सिंह, डा0 प्रेम शंकर पांडे, भूपेन्द्र प्रताप सिंह, हरेन्द्र शुक्ला, मनोज कुमार चौबे, महेंद्र चौहान, आनन्द मिश्रा, ब्रह्मदेव मिश्रा, ज्वाला मिश्र, कमलाकान्त पान्डेय, कुमार पांडे, निशांत ओझा, मोहम्मद अरशद, पंकज मिश्र, उदय सिंह, कौशल दूबे, संजय तिवारी, युवराज पान्डेय, राजेंद्र सिंह, समीर अली, आकाश सेठ, अवधेश जायसवाल, गौरव पान्डेय, पिन्टू शेख आदि प्रमुख रहे।
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