यूपी की योगी सरकार का अपने दूसरे कार्यकाल में गरीबों और श्रमिकों पर फोकस है। चुनावी वायदे के अनुरूप सरकार श्रमिकों को एक लाख तक का ऋण उपलब्ध कराएगी। इसके लिए किसी सिक्योरिटी (गारंटी) की जरूरत नहीं होगी। इस सुविधा के तहत सरकार पंजीकृत कामगारों को श्रमिक क्रेडिट कार्ड देगी। बीजेपी के लोक कल्याण संकल्प पत्र में किए गए इस वादे को पूरा किए जाने के लिए श्रम विभाग ने कवायद शुरू कर दी है।
विधानसभा चुनाव से ऐन पहले योगी सरकार ने पंजीकृत श्रमिकों
के लिए 500 रुपये
मासिक भत्ते का ऐलान किया था। हालांकि यह व्यवस्था चार महीने के लिए ही की गई थी।
मगर इसका नतीजा यह हुआ कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराने की होड़ मच गई। विभाग के
सामने केंद्र द्वारा दिया गया 6 करोड़ 30 लाख पंजीकरण का टारगेट ही पहाड़ सा था, मगर भत्ते के फेर में रजिस्ट्रेशन 8 करोड़ 26 लाख पर जा पहुंचे।
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बीजेपी ने श्रमिकों से किए कई
वादे
बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में
श्रमिकों से कई वादे किए हैं। इसमें उनके बच्चों के लिए अटल आवासीय विद्यालयों के
निर्माण के अलावा स्नातक तक की मुफ्त शिक्षा, बेटियों की शादी के लिए अनुदान राशि
बढ़ाकर एक लाख किए जाने, सभी
निर्माण श्रमिकों को मुफ्त बीमा, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना का विस्तार करते हुए मुफ्त
कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया जाना शामिल है। इसके अलावा उन्हें अपने पैरों पर
खड़ा होने में मदद करने के लिए एक लाख तक कोलैटरल फ्री (गारंटी रहित) ऋण उपलब्ध
कराया जाना है।
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करीब
डेढ़ करोड़ पंजीकृत श्रमिकों को लाभ
बैंक से ऋण लेते वक्त सबसे बड़ी
दिक्कत सिक्योरिटी की आती है। श्रमिकों के लिए बैंक की इस शर्त को पूरा कर पाना
संभव नहीं है। ऐसे में उन्हें ऋण के लिए उन्हें सिर्फ लोन लेने का कारण बताते हुए
आवेदन करना होगा। इस योजना का लाभ फिलहाल 1.43 करोड़ पंजीकृत श्रमिकों को मिल सकेगा।
हालांकि अभी ई-श्रम पोर्टल पर हुए पंजीकरण की जांच होना बाकी है। तब यह आंकड़ा और
बढ़ जाएगा।
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दो विकल्पों पर विचार
विभागीय सूत्रों की मानें तो इस
योजना में काफी धनराशि जुड़ी है इसलिए रूपरेखा तय करने में बेहद सावधानी बरती जा
रही है। इसमें दो विकल्पों पर विचार हो रहा है, पहला यह कि वित्त पोषण सरकार करे।
दूसरा विकल्प पीएम स्वनिधि योजना की तर्ज पर इस योजना को बैंकों की मदद से संचालित
करने का है।
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