उत्तर प्रदेश की महाभारत में अब बारी है पूर्वांचल के रण की, जिसने छठा और 7 वां चरण जीता वही सत्ता का सिकंदर बनेगा. अब पधानमंत्री मोदी विपक्ष के खिलाफ फ्रंटफुट पर खेल रहे हैं. भाजपा दावा कर रही है कि, विपक्ष पूरी तरह बैकफुट पर है और पूरे विपक्ष पर सियासी फॉलोऑन का खतरा मंडरा रहा है. वहीं, अखिलेश यादव दावा कर रहे हैं कि, नतीजों से पहले भाजपा ने हार मान ली है.
पूर्वांचल
को उत्तर प्रदेश की सत्ता का प्रवेश द्वार माना जाता है. यहां की जीत किसी भी
पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाती है. यही वजह है कि, पूर्वांचल साधने के लिए खुद प्रधानमंत्री
मोदी ने मेगा प्लान तैयार किया है.
छठे चरण की बड़ी बातें
यूपी में
पांच चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं. 3 मार्च को छठे चरण के लिए 10 जिलों की 57 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. छठे चरण
में करीब 2 करोड़ 15 लाख वोटर 676 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला
करेंगे. छठे समर में मुख्याम्नात्री योगी समेत पांच मंत्रियों की अग्नि परीक्षा
होगी. 3 मार्च को
अंबेडकरनगर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और बलिया में मतदान होगा.
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37 सीटें रेड अलर्ट पर है
2017 में जनता
ने कमल के नाम संदेश सुनाया था. यानी छठे चरण की 57 सीटों में से 46 सीटों पर बीजेपी का जादू चला था.
वहीं, 2 सीटें उसके
सहयोगी दलों अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के खाते में गईं थीं. इस बार SBSP और सपा का गठबंधन है. इसलिए नतीजे
कुछ अलग होने के आसार हैं. छठे चरण की 57 सीटों में से 37 सीटों के चुनाव क्षेत्र अति
संवेदनशील घोषित करते हुए रेड अलर्ट पर रखे गए हैं, क्योंकि इन सीटों पर तीन या इससे
ज्यादा उम्मीदवार आपराधिक रिकॉर्ड के साथ चुनावी ताल ठोक रहे हैं.
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छठे चरण में इन दिग्गजों का प्रतिष्ठा दांव पर
मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ समेत दस से ज्यादा मंत्रियों की साख छठे चरण के मतदान में दांव पर
लगी है. यूपी की भाजपा सरकार में मंत्री सूर्य प्रताप शाही, सतीश द्विवेदी, राम स्वरूप शुक्ला उपेंद्र तिवारी, श्रीराम चौहान, जय प्रताप सिंह और जय प्रकाश
निषाद हैं. वहीं, स्वामी
प्रसाद मौर्य, विधानसभा
के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, बसपा छोड़ सपा में आए लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा, राज किशोर सिंह और कांग्रेस के
प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
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त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
पूर्वांचल
के जिन जिलों में छठे चरण में चुनाव होने वाले हैं, वहां पर कभी मायावती और मुलायम का
वोट बैंक हुआ करता था. भाजपा ने यहां अपनी जगह बनाई है और उसे बरकरार रखने की
कोशिश हो रही है. ऐसे में सपा ने गैर-यादव ओबीसी आधार रखने वाले दलों के साथ हाथ
मिलाया तो बसपा ने जातीय समीकरण को देखते हुए कैंडिडेट उतारे हैं. इतना ही नहीं
बीजेपी-सपा के दलबदलू नेताओं को मायावती ने टिकट देकर चुनाव मुकाबले को त्रिकोणीय
बना दिया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या मेगा प्लान तैयार किया
है?
प्रधानमंत्री मोदी 3 से 5 मार्च तक काशी में डेरा डालेंगे. साथ ही प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी और आसपास के इलाकों में कई
रैलियों को संबोधित कर सकते हैं. इसके अलावा पीएम के रोड शो का भी प्लान तैयार है.
2017 में भी पूर्वांचल में प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा दिखा था. पिछले चुनाव में
मोदी ने मतदान से पहले काशी की सड़कों पर रोड शो किया था, जिसके बाद पूर्वांचल की 61 सीटों में भाजपा ने वाराणसी की सभी 8 सीटों समेत 55 सीटों पर कमल
खिलाया था. छठे और सातवें चरण के सबसे अहम चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए पीएम का
महाविजय प्लान तैयार है. देखना होगा कि, अखिलेश इस
चक्रव्यूह को भेद पाने में कितने कामयाब हो पाएंगे.
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