उत्तर प्रदेश में अठारहवीं विधानसभा के चुनाव परिणाम से राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह के नेतृत्व कौशल की भी परख होगी। यह पहला मौका है जब पार्टी उनकी अगुवाई में विधानसभा चुनाव में उतरी है। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का उनका फैसला भी कसौटी पर है।
अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह के निधन
के बाद जयंत ने पार्टी की कमान संभाली ली थी। इससे पहले वह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के
रूप में पार्टी में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे थे। हालांकि पार्टी के फैसलों
में उनकी भूमिका तब भी महत्वपूर्ण थी, लेकिन अध्यक्ष पद संभालने के
बाद उन्होंने पार्टी को नए तेवर व कलेवर में खड़ा किया।
गाजीपुर में शराब और पैसा बांटते हुए भाजपा के मंडल अध्यक्ष सहित तीन गिरफ्तार
पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए
उन्होंने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया तो बीजेपी
की मुख्य प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके उन्होंने पश्चिमी उत्तर
प्रदेश में खुद को बीजेपी विरोधी चेहरे के तौर पर स्थापित किया। वह पार्टी के
प्रभाव वाले जिलों की संख्या बढ़ाने की कोशिशों में भी जुटे रहे। विधानसभा चुनाव
की घोषणा से पहले ही उनकी पार्टी किसानों के समर्थन में लगातार सभाएं कर रही थी।
विधानसभा चुनाव में रालोद की सीधी भूमिका तीसरे चरण तक रही। पार्टी
के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी दावा करते हैं कि तीनों चरणों में
रालोद प्रत्याशियों को भारी समर्थन मिला है।
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