वाराणसी: 23 मार्च को आल इन्डिया तृणमूल कांग्रेस के क्षेत्रीय कार्यालय ईंगलिसियालाईन में शहीद दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में वक्ताओं द्वारा ब्यक्त किया गया। प्रारम्भ में शहीद भगतसिंह के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित की गयी।अपने मुल्क के प्रति ऐसी बेपनाह मुहब्बत का जज्बा़ रखने वाले शहीद शिरोमणि सरदार भगत सिंह और उनके अनन्य सहयोगी शहीद राजगुरू और सखुदेव जी के बलिदान दिवस पर कृतग्य राष्ट्र की कोटि कोटि श्रध्दांजलि।
भगत सिंह जी जितने बड़े महान राष्ट्रभक्त और अमर बलिदानी थे उतने ही महान विचारक, चिन्तक और एक लेखक भी थे. महज 24 साल की छोटी उम्र जीने वाले भगत सिंह अद्भुत और विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। इस महान क्रान्तिकारी शहीद ने हिन्दुस्तान ही नहीं दुनियां के तमाम महान देश भक्तों के उपर अपनी ऐसी अलग छाप छोड़ा जिस पर दुनियां यकीन ही नहीं ही कर पाती.
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गोष्ठी में वक्ताओं ने आगे कहा कि भगत सिंह जैसा क्रान्ति वीर दुनियाँ भर में कहीं नहीं हुआ जिसने आजादी की जंग लड़ते हुये असेम्बली बम कान्ड के माध्यम से अंग्रेजों की निरंकुश सत्ता को जहां यह सन्देश दिया कि बहरों को सुनाने के लिए तेज धमाके की दरकार होती है. तो वहीं उन्होंने अपने साथियों के न चाहने के बावजूद खुद को अंग्रेजो के हाथ इस लिये गिरफ्तार भी कराया क्यों कि उन्हें अदालत में दिये गये बयान के माध्यम से देश के सोये हुये युवाओं को देश प्रेम में पगे अपने दहकते विचारों की आंच से जगा कर उनको उनका कर्तव्य बोध भी कराना था।
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युग के इस विलक्षण महान क्रांतिकारी का मानना था कि आजादी केवल बन्दूक की गोली और बमों से ही हासिल नहीं की जा सकती जब तक की मुल्क की सोई हुई अवाम की सोच रूपी तलवार में लगी जंग को विचारों की धार नहीं दे दी जाती। और यही उन्होंने अपनी गिरफ्तारी के बाद करके दिखाया भी, लाहौर हाई कोर्ट में उन्होंने अपने क्रान्ति से दहकते विचारों के माध्यम से साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ देश को कुछ इस तरह झकझोर कर जगाया कि देश का हर युवा, किसान मजदूर और कमोबेश हर तबका देश की आजादी के लिये क्रान्ति पथ पर अपना सब कुछ अर्पित करने के लिये तत्पर हो सका था।
देश की वर्तमान ही नहीं आने वाली पीढ़ियां अपने इन महान बलिदानियों के महत्तम योगदान की चिर काल तक ॠणी रहेंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता सिचाई आयोग के पूर्व अध्यक्ष पूर्व श्री विजय शंकर पान्डेय ने संचालन बैजनाथ सिंह ने किया।
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इसके अलावा विचार गोष्ठी में प्रमुख रूप राधेश्याम सिंह, भूपेन्द्र प्रताप सिंह, डाक्टर प्रेम शंकर पान्डेय, मनोज चौबे, आनन्द मिश्रा, महेंद्र चौहान, ज्वाला मिश्रा, संजय तिवारी, राकेश पाठक कमलाकान्त पान्डेय, अशोक कुमार पाण्डेय, निशांत ओझा, लियाकत अली, अवधेश जायसवाल, मोहम्मद अरशद, पंकज पान्डेय, कौशल दूबे, युवराज पान्डेय, सौरभ पान्डेय, जावेद अहमद, पिन्टू शेख आदि ने विचार प्रकट किया ।
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