मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले शानदार जीत के बाद आज राज्य में 12वीं विधानसभा का गठन हो गया है। मुख्यमंत्री पर सस्पेंस के बीच भाजपा के वरिष्ठ विधायक और प्रोटेम स्पीकर सोरोखैबम राजेन सिंह ने नवनिर्वाचित विधायकों को 13 मार्च को विधानसभा हॉल में उनके पद और गोपनियता की शपथ दिलाई।
लेकिन राज्य में अब तक सरकार का गठन
नहीं हुआ है और ना ही सीएम की घोषणा हुई है। हालांकि आज दोपहर तीन बजे होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक में यह तस्वीर साफ होने
की पूरी संभावना है। भाजपा के केंद्रीय
पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और किरेन रिजिजू भी रविवार को इंफाल पहुंचेंगे।
आपको बता दें कि मणिपुर में हुए
विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत
मिली है। 60 विधानसभा
सीटों वाले इस राज्य में भाजपा ने पूर्ण
बहुमत पाते हुए 32 सीटों पर
कब्जा किया है। इसके साथ ही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को इस बार चुनाव में
करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस को केवल 5 सीटें मिली हैं वहीं जेडीयू ने 6 सीटों के साथ खाता खोला है। दूसरी ओर
नागा पीपुल्स फ्रंट को 5 सीटें जबकि
नेशनल पीपुल्स पार्टी को 7 सीटें मिली
है। कुकी पीपुल्स एलायंस ने इस बार 2 सीटों पर कब्जा किया है और निर्दलीयों
ने 3 सीटों पर
जीत दर्ज की है।
गौरतलब है कि ने चुनाव से पहले भाजपा अनौपचारिक रूप से घोषणा की थी कि बीरेन
सिंह पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे और अगली सरकार का नेतृत्व करेंगे।
अब बताया जा रहा है कि केंद्रीय पर्यवेक्षक बहुत जल्द राज्य का दौरा कर सीएम के
अगले चेहरे का ऐलान करेंगे। इस पर अभी तक एक ही चेहरा सामने था एन बीरेन सिंह का
लेकिन अब सीएम पद के दो और दावेदार आ गए हैं।
मणिपुर में सीएम पद के लिए बिशनपुर के
विधायक गोविंददास कोंथौजम का नाम भी सामने आ रहा है। वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
थे। उन्होंने कांग्रेस और राज्य विधानसभा से इस्तीफा दिया था। पिछले साल ही
गोविंददास भाजपा में शामिल हुए थे।
गोविंददास के साथ ही थोंगम बिस्वजीत
सिंह का नाम भी सीएम की रेस में सामने आ रहा है। सिंह ग्रामीण विकास और पंचायती राज
विभाग के मंत्री थे। 2019 में, उन्हें सार्वजनिक कार्यों और बिजली
विभागों से हटा दिया गया था।
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कहा जा रहा है कि बिस्वजीत के साथ भाजपा के 16 विधायक हैं। वह इन विधायकों के साथ
केंद्रीय पार्टी के नेताओं पर दबाव डाल रहे हैं कि एन बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री
पद से हटाया जाए। बिस्वजीत 2012 में तृणमूल के टिकट पर जीते थे। 2015 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से
इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए उपचुनाव
जीते।
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