वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी अब मिनी पंजाब नजर आ रहा है. डेरा सचखंड बल्लां जालंधर से आने वाले श्रद्धालुओं का लगातार वाराणसी आने कार्यक्रम जारी है, वहीं कई और जगहों से आए आस्थावानों से गुरु की नगरी गुलजार हो चुकी है. संत रविदास की जन्मस्थली काशी के सीरगोवर्द्धनपुर में भारत की विविधताओं के अलग-अलग रंग बिखरने लगी है. संत रविदास जयंती 16 फरवरी को है. इसके चलते शहर में सोमवार यानी 14 फरवरी से ही कार्यक्रमों की शुरुआत हो चुकी है.
रूटों का रहेगा डायवर्जन
16 फरवरी को संत शिरोमणि रविदास की 645वीं जयंती वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर में मनाई
जाएगी. इस खास मौके पर धर्म नगरी काशी (वाराणसी) में इस वक्त बड़ी संख्या में देश
के कोने-कोने से यहां श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं. ऐसे में समारोह में आने वाले
श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हों, इसके लिए शहर की
यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप चलाया जा रहा है. 14 से 18 फरवरी तक यातायात पुलिस कमिश्नरेट ने कुछ रास्तों
पर रूट डायवर्जन लागू कर दिया है.
भीड़ के चलते चाक चौबंद के किए गए इंतजाम
रविदास
जयंती पर शहर में उमड़ने वाली भीड़ के चलते सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाने को
लेकर डीसीपी काशी जोन ने कमान संभाल ली है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, डीसीपी काशी जोन ने बताया कि 16 फरवरी को रविदास जयंती पर
परंपरागत जुलूस और झांकी निकाली जाएगी. इसको देखते हुए सुरक्षा के इंतजाम कर लिए
गए हैं. सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है कि त्योहार रजिस्टर का
अवलोकन जरूर करें. साथ ही जुलूस और झांकी में किसी भी तरह के खाने-पीने का
इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाई गई है.
श्रद्धालुओं के लिए लंगर की
व्यवस्था
हम आपको
बता दें, जालंधर से
रविदासिया धर्म के प्रमुख डेरा सच्चखंड बल्लां के गद्दीनशीन संत निरंजन दास संतों
की टोली व रैदासियों के जत्थे के साथ रविवार को स्पेशल ट्रेन से काशी पहुंच गई है.
रविदास जयंती के खास मौके पर बेगमपुरा में पांच लाख श्रद्धालुओं के लिए लंगर तैयार
किया जाएगा. पंडाल के पास बने तीन लंगर हॉल की शुरुआत भी हो गई है. बता दें, लंगर और रसोई के लिए ढाई हजार से
ज्यादा लोग निरंतर सेवा में लगे हुए हैं.
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चुनाव आयोग ने बदली तारीख
देश के 5 राज्यों में इस वक्त विधानसभा के चुनाव हो
रहे हैं. पंजाब में पहले चुनाव आयोग ने 14 फरवरी को चुनाव
की तिथि घोषित की थी, लेकिन बाद में राजनीतिक दलों के अनुरोध पर
पंजाब में चुनाव की तिथि एक हफ्ते के लिए आगे बढ़ाई गई. राजनीतिक दलों ने पत्र
लिखकर चुनाव आयोग को कहा था कि रविदास जयंती के मौके पर ज्यादातर श्रद्धालु
वाराणसी जाते हैं. इसके बाद चुनाव आयोग ने इसे टाल कर 20 फरवरी कर दिया.
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