वाराणसी: कुछ घंटो और दिनों में होने वाली रक्त की जांच अब और आसान हो जाएगी. आइआइटी बीएचयू के विज्ञानी सहायक प्रो. डा. प्रांजल चंद्रा ने एक ऐसे बायोसेंसिंग उपकरण का विकास किया है, जिसमें सैंपल डालते ही पांच सेंकड से भी कम समय में रक्त में मौजूद भारी धातुओं, क्षारीय फास्फेट, कैंसर बायोमार्कर व अन्य रासायनिक तत्वों आदि जटिल तरल पदार्थों का पता चल सकेगा|
इससे पेयजल की शुद्धता और दूध के पाश्चुराइजेशन की स्थिति सहित अनेक परीक्षण सेंकडों में किए जा सकते हैं| यह खोज विश्व स्तर पर रोग निदान और प्रयोगशालाओं में परीक्षणों के विश्लेषण में भूमिका तो निभा ही सकती है. जांच प्रकिया अत्यंत सस्ती हो जाने से मरीजों को राहत भी प्रदान करेगी|
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*शोध- अनुसंधान
*आइआइटी बीएचयू के विज्ञानियों ने बनाया
हथेली से भी छोटा आप्टिलाइजर
*सस्ती होगी परीक्षण तकनीक, कम समय लगने से उपचार में भी सुविधा
*आईसीएमआर ने किया सम्मानित: डा. चंद्रा और
उनकी टीम द्वारा बनाया गया यह बायोमार्कर अत्यंत सस्ता, छोटा तथा सरल प्रक्रिया का होने के नाते काफी उपयोगी साबित होगा! नैदानिक अनुसंधान सहित
जैव चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इस विशिष्ट कार्य के लिए आईसीएमआर ने डा.
चंद्रा प्रतिष्ठित पुरस्कार भी बिते जनवरी में प्रदान किया है!
*पेटेंट के लिए किया आवेदन: डा. चंद्रा के
नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने आइआइटी बीएचयू के माध्यम से इस बायोसेंसर के पेटेंट के लिए आवेदन
कर दिया है! इसे भविष्य में बाजार में उतारने की तैयारी है! कयी कंपनियां इसके लिए
संपर्क भी करने लगी है!
*शोध टीम में ये रहे शामिल: बायोसेंसर के
विकास में शोध छात्र सुप्रितम महापात्रा, विनिश श्रीवास्तव, रोहिणी, डेफिका, राहुल कुमार व दिव्या शामिल थी!
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