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Thursday, December 04, 2025
वाराणसी में कज्जाकपुरा आरओबी 10 दिन में देगा शहर को गति, जाम से मिलेगी निजात
Wednesday, December 03, 2025
आखिर एसआईआर के पीछे असली मकसद क्या है?
प्रोफेसर राहुल सिंह की कलम से
देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी एसआईआर प्रक्रिया जनता से लेकर बीएलओ तक के गले की फांस बन गयी है। शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब किसी न किसी बीएलओ के मरने, खुदकुशी करने या फिर निलंबन की सूचना न आ रही हो। वैसे भी सामान्य परिस्थितियों में तीन से चार महीने में होने वाले किसी काम को अगर महज चंद दिनों के भीतर निपटाने की कोशिश की जाएगी तो निश्चित तौर पर इसी तरह के नतीजे आएंगे। इस प्रक्रिया में काम का जो दबाव उस शख्स पर पड़ेगा उसकी महज कल्पना ही की जा सकती है। ऊपर से अगर कर्मचारी उसके अभ्यस्त न हों और उसके लिए उन्हें जरूरी प्रशिक्षण भी न मिला हो तब स्थितियां और भयावह हो सकती हैं। यही कुछ हो रहा है बीएलओ के साथ।
एक तरफ काम का दबाव दूसरी तरफ प्रशासनिक उच्चाधिकारियों का डंडा और उससे भी आगे बढ़कर नौकरी जाने के खतरे ने उनके दिमाग को चूल्हे पर चढ़े प्रेसर कूकर में बदल दिया है। दबाव का संतुलन बिगड़ने का मतलब है कूकर का फटना। यही सब कुछ खुदकुशी और मौतों के तौर पर सामने आ रहा है। अभी तक 20 से ज्यादा बीएलओज की मौत हो चुकी है। ढेर सारे तो अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे दे रहे हैं। एक समाचार तो यहीं नोएडा से है जहां बीएलओ पिंकी ने दबाव के चलते अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। लेकिन चुनाव आयोग है कि इसका संज्ञान भी लेना नहीं चाहता है।
वह यह मानने के लिए भी तैयार नहीं है कि कहीं कोई चीज गलत हो रही है। यहां तक कि एसआईआर के मामले पर इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन वहां भी इसका़ कोई जिक्र नहीं हुआ। अब कोई पूछ सकता है कि एक लोकतांत्रिक और सभ्य समाज में जहां आधुनिक संस्थाओं की निगरानी और संरक्षण में सारी चीजें संचालित हो रही हैं वहां इस तरह की घटनाओं को कैसे नजरंदाज किया जा सकता है? यह एक बड़ा सवाल है इसका उत्तर आगे जानेंगे। लेकिन आइये उससे पहले एसआईआर के पीछे के पूरे मकसद को समझ लेते हैं।
वैसे तो एसआईआर वोटर लिस्ट की खामियों को दूर करने और उसमें अवैध वोटरों को छांटने तथा नये वोटरों को शामिल करने के नारे के साथ चलाया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि उसका यह मूल मकसद कतई नहीं है। एसआईआर शुद्ध रूप से एक छंटनी का कार्यक्रम है। जहां तक रही मतदाताओं को शामिल करने की बात तो उसमें भी पिक एंड चूज की व्यवस्था है। यह एक ऐसा अभियान है जो सत्तारूढ़ पार्टी के निहित स्वार्थों को पूरा करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। इसीलिए इसे पूर्व निर्धारित और टारगेटेड तरीके से संचालित किया जा रहा है।
अनायास नहीं बीच में जब इतना बड़ा संकट आ रहा है, बीएलओ की मौतें और खुदकुशियां हो रही हैं तब भी चुनाव आयोग टस से मस होने के लिए तैयार नहीं है। सत्तारूढ़ बीजेपी के किसी नेता ने संवेदना के दो शब्द भी बोलने की जहमत नहीं उठाई। यह कोई मामूली घटना नहीं है। वरना क्या चुनाव आयोग के पास समय की कमी थी? बिहार चुनाव से पहले जब आप वहां एसआईआर करा रहे थे तो उसी समय इन सारे राज्यों में भी एसआईआर शुरू हो सकता था और इस तरह से इन बाकी 13 राज्यों में एसआईआर के लिए पूरा समय मिल जाता।
लेकिन आपने इसलिए नहीं किया क्योंकि इससे आपका उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता। क्योंकि आप को ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं की छटनी करनी है। और उनकी जगह ऐसे वोटरों को भरना है जो आपकी अपनी योजना में फिट बैठते हों। ऐसा तभी हो सकता है जब कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा काम करने का दबाव पैदा किया जा सके। जिससे बड़ी संख्या में वोटरों के छूटने की गारंटी हो। इस कड़ी में आपको उन वोटरों को बाहर करने का मौका मिल जाएगा जो परंपरागत तौर पर बीजेपी के लिए वोट नहीं करते हैं। अनायास नहीं इसी दौरान एक बीएलओ के रिश्तेदार ने बताया कि उनके भाई के ऊपर उच्च अफसरों द्वारा पिछड़े समुदाय के वोटरों को छांटने का दबाव बनाया जा रहा था। यही नहीं बिहार में हुए एसआईआर में दलितों, अल्पसंख्यकों और ऐसे तबकों के ज्यादा से ज्यादा वोटरों के छांटे जाने की खबरें आयी थीं जो बीजेपी के आमतौर पर वोटर नहीं माने जाते हैं।
दरअसल एसआईआर पूरे चुनाव, लोकतंत्र और चुनाव आयोग के वजूद के ही खिलाफ है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह देश के सारे के सारे मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल करे। उसका प्राथमिक लक्ष्य यह होना चाहिए कि देश में कोई एक भी मतदाता ऐसा नहीं होना चाहिए जो मतदाता सूची से बाहर हो।
लोकतंत्र में चुनाव की केंद्रीय भूमिका होती है और उसमें सभी मतदाताओं को शामिल कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर होती है। लेकिन अगर इसकी जगह चुनाव आयोग का मकसद अधिक से अधिक मतदाताओं को वोटर लिस्ट से छांटना हो जाए तो फिर उस देश और उसके लोकतंत्र को कोई नहीं बचा सकता है। और कोई चुनाव आयोग अगर ऐसा कर रहा है तो इसका मतलब है कि वह अपने देश, लोकतंत्र और जनता के लिए नहीं बल्कि किसी और के निहित स्वार्थ के लिए काम कर रहा है।
अपने पूरे लक्ष्यों और मकसद के विपरीत काम करने वाले चुनाव आयोग से भला फिर क्या ही उम्मीद की जा सकती है। ऊपर से अगर वन नेशन, वन इलेक्शन का विधेयक संसद से पास हो जाता है तो फिर यह कोढ़ में खाज ही साबित होगा। अभी तक चुनावों में विपक्ष के लिए जो रही सही उम्मीदें थीं वह भी धूलधसरित हो जाएंगी। इसका मतलब होगा कि पिट्ठू चुनाव आयोग के दम पर सत्ता पर बीजेपी-आरएसएस का स्थाई कब्जा। लोकतंत्र के रास्ते तानाशाही के इस सफर पर बीजेपी और संघ बहुत आगे निकल गए हैं। और चूंकि लोकतंत्र और तानाशाही दोनों एक साथ नहीं चल सकते हैं इसलिए एक का मरना तय है। और अभी की स्थिति में तो लोकतंत्र ही मरता हुआ दिख रहा है। वैसे भी यह हत्या उसकी टुकड़ों-टुकड़ों में की जा रही है।
अब आते हैं लोकतंत्र के तहत चलने वाली बर्बरता की बात पर। आपने क्या कभी यह सोचा कि बीजेपी के किसी भी फैसले में हिंसा, हत्या, खून क्यों जुड़ जाता है। बीजेपी का कोई भी कार्यक्रम बगैर इसके संपन्न ही नहीं होता है। नोटबंदी की गयी तो सैकड़ों ने अपनी जान गवां दी। लॉकडाउन हुआ तो इसी तरह की स्थितियों का लोगों को सामना करना पड़ा। जीएसटी की मार से खुदकुशी करने वाले व्यापारियों की शायद ही देश में कोई गिनती हो पायी हो। और अगर ऐसा कुछ नहीं हो रहा है तो शांतिकाल में भी मॉब लिंचिंग से लेकर बुल्डोजर के जरिये लोगों को मौत के घाट उतारने वाले खुदकुशी के लिए मजबूर करने नियमित अभियान चलता ही रहता है।
अगर कुछ बचा तो फिर एनकाउंटर के जरिये स्थाई हिंसा का माहौल बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस को दे दी गयी है। अब कोई पूछ सकता है कि ऐसा क्यों है? दरअसल बीजेपी और संघ एक हिंसक समाज चाहते हैं क्योंकि उन्हें पूरे समाज को एक स्थाई युद्ध में झोंकना है। और इसके लिए जरूरी है कि पूरा समाज मानसिक तौर पर तैयार रहे। इन सारे कार्यक्रमों और योजनाओं के जरिये देश में इसी तरह का एक इको सिस्टम तैयार किया जा रहा है। जिसमें यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि आने वाले दिनों होने वाली बड़ी से बड़ी हिंसा को बर्दाश्त करने की जनता में क्षमता हो। या दूसरे शब्दों में कहें तो एक बड़े गृहयुद्ध की तैयारी है।
अनायास नहीं संघ हथियारों की पूजा करता है। वह अपनी शाखाओं में स्वयंसेवकों को लड़ने की ट्रेनिंग देता है। और कई बार कई जगहों पर घरों में हथियारों तक की सप्लाई की खबरें आयी हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पहले ही उसने हिंदुओं का सैन्यीकरण और सैनिकों का हिंदूकरण का नारा दे रखा है। अगर किसी को लगता है कि बीजेपी सरकार की अग्निवीर योजना हवा हवाई है तो उसे अपनी सोच पर फिर से विचार करना चाहिए।
दरअसल अग्निवीर के जरिये संघ-बीजेपी पूरे समाज और खास कर हिंदू समाज के एक बड़े हिस्से को सैन्य प्रशिक्षण देना चाहते हैं। क्योंकि आने वाले दिनों में समाज के भीतर अगर कोई बड़ा युद्ध छिड़ा तो फिर यही सैनिक उसके लिए पहली पंक्ति के योद्धा होंगे। इसलिए एक शांतिपूर्ण समाज के हिंसक समाज में बदलने और फिर उसके हिंदू तालीबान बनने के जो खतरे हैं उसको अगर समय रहते समझा नहीं गया तो इस देश का भविष्य बेहद अंधकारमय है।
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Monday, December 01, 2025
काशी तमिल संगमम 4.0 की तैयारियों का उच्च-स्तरीय निरीक्षण: नमो घाट पर जिलाधिकारी ने लिया तैयारियों का जायजा
वाराणसी: काशी तमिल संगमम 4.0 के सफल आयोजन को सुनिश्चित करने हेतु, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने नमो घाट पर चल रही तैयारियों और स्थल (ग्राउंड) का गहन निरीक्षण किया।
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अधिकारियों की टीम ने विशेष रूप से नमो घाट पर स्थापित की जा रही विशेष प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक मंचों और वेंडर्स स्टॉलों की व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने और स्वच्छता व सुरक्षा मानकों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। डीएम सत्येंद्र कुमार ने कहा कि "नमो घाट संगमम का मुख्य केंद्र है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यहाँ आने वाले तमिलनाडु के प्रतिनिधियों और आगंतुकों को सर्वोत्तम अनुभव मिले। सुरक्षा, पार्किंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए पुख्ता इंतज़ाम किए जा रहे हैं।"
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नोडल अधिकारी सुभाष यादव ने बताया कि संगमम अपनी थीम "तमिल सीखें - तमिल कर्कालम" के अनुरूप दोनों क्षेत्रों की सांस्कृतिक एकता को दर्शाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह निरीक्षण इस बात को रेखांकित करता है कि जिला प्रशासन इस राष्ट्रीय महत्व के आयोजन को निर्बाध रूप से संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इस महत्वपूर्ण निरीक्षण के दौरान, जिलाधिकारी के साथ अपर जिलाधिकारी (ADM) आलोक वर्मा, और ADCP श्रवणन टी भी मौजूद रहे।
निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर की भांति ही बनारस के बिजली कर्मियों का संघर्ष आंदोलन के दूसरे वर्ष भी रहा जारी
वाराणासी: विधुत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उ0प्र0 के बैनर तले बिजली के निजीकरण के विरुष जारी आंदोलन के आज द्वितीय वर्ष के पहले दिन यानी 366वें दिन भी बनारस के बिजलकर्मियो ने जमकर विरोश प्रदर्शन करते हुये कहा कि निजीकरण का निर्णय निरस्ट होने तक जारी रहेगा संघर्ष।
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वक्ताओ ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के निर्णय के विरोध में उ0प्र0 के बिजली कर्मियों का लगातार चल रहा आंदोलन आज दूसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है साथ ही आंदोलन को मिल रहे देशव्यापी समर्थन से उत्साहित उप्र के बिजली कर्मियों का निर्णय है कि किसानो और उपभोक्ताओं को साथ लेकर दूसरे वर्ष में भी आंदोलन को लगातार तब तक चलाया जाएगा जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता।
संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन झूठे आंकड़ों और दमन के बल पर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण करने पर आमादा है किन्तु सभी उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के बावजूद प्रदेश के बिजली कर्मी उपभोक्ताओं को साथ लेकर विगत 366 दिन से सफलता पूर्वक आंदोलन चला रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा दिए गए घाटे के झूठे आंकड़ों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा अस्वीकृत करने के बाद इन्हीं झूठे आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया निजीकरण का आर एफ पी डॉक्यूमेंट स्वतः अवैध हो जाता है। संघर्ष समिति ने कहा कि इसी आधार पर विद्युत नियामक आयोग को इस आर एफ पी डॉक्यूमेंट को निरस्त कर देना चाहिए।
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संघर्ष समिति ने मांग की कि झूठे आंकड़ों के आधार पर आर एफ पी डॉक्यूमेंट तैयार करने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त और पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन पर कार्यवाही की जानी चाहिए। संघर्ष समिति ने कहा कि संघर्ष के दूसरे वर्ष में आंदोलन तेज करने के विस्तृत कार्यक्रमों को अगले सप्ताह घोषित कर दिया जायेगा। सभा को सर्वश्री अंकुर पाण्डेय,राजेश सिंह,मनोज जैसवाल, अमित सिंह,पंकज यादव,सूरज रावत,विकाश ठाकुर, एस0के0 सरोज,धनपाल सिंह,राजेह पटेल,योगेंद्र कुमार,प्रवीण सिंह, ब्रिज सोनकर आदि ने संबोधित किया।
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Sunday, November 30, 2025
इंस्टाग्राम पर दोस्ती, धर्म परिवर्तन का बनाया दबाव, आरोपी गिरफ्तार
वाराणसी: जिले के मिर्जामुराद थाना क्षेत्र निवासी युवती से इंस्टाग्राम पर दोस्ती के बाद दुष्कर्म करने और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने का आरोपी सीतापुर निवासी नसीम को मिर्जामुराद पुलिस ने रखौना बाईपास से गिरफ्तार किया। पुलिस ने युवती का बयान दर्ज कर उसका मेडिकल कराया।
जानिए क्या है पूरा मामला
पुलिस के अनुसार पीड़िता ने आरोप लगाया है कि इंस्टाग्राम पर आरोपी ने अजय कुमार नाम से आईडी बनाई थी। बातचीत के दौरान उसने दोस्ती बढ़ाई और झांसे में लेकर 29 अगस्त को अपने साथ ले गया। इसके बाद शादी कर ली। कुछ दिन बाद धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने लगा। इनकार करने पर मारपीट की। उसने अपने परिवार को लोगों को जानकारी दी।
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परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी नसीम को गिरफ्तार किया। थाना प्रभारी मिर्जामुराद प्रमोद कुमार पांडेय ने बताया कि पीड़िता का बयान दर्ज कर लिया गया है और मेडिकल कराया गया। पीड़िता की मां की तहरीर पर आरोपी के विरुद्ध दुष्कर्म, धोखाधड़ी, मारपीट और उत्तर प्रदेश धर्मांतरण निषेध अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोपी खैराबाद थाना क्षेत्र के सीतापुर निवासी नसीम को गिरफ्तार किया गया है
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चिरईगांव विकास खंड में 78 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे, आनन-फानन में मुख्य अतिथि ने बिना रस्में पूरी हुए दे दिया प्रमाण पत्र तो वही ब्लॉक प्रमुख ने शादी संपन्न होने के बाद दिया आशीर्वाद
वाराणसी: चिरईगांव विकास खंड के अंतर्गत बरियासनपुर स्थित इंटर मीडिएट कॉलेज के प्रांगण में शनिवार को धूम धाम से उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी 'मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना' के तहत एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कुल 78 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। वैदिक मंत्रोच्चार और पारंपरिक रस्मो-रिवाज के साथ संपन्न हुए इस कार्यक्रम ने सामाजिक समरसता की एक अनूठी मिसाल पेश की। समारोह की रूपरेखा और प्रबंधन के विशाल आयोजन को सफल बनाने में विकास खण्ड के अधिकारीयों और कर्मचारियों के साथ साथ ग्राम प्रधानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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कार्यक्रम का कुशल संचालन चिरईगांव विकास खण्ड के खंड विकास अधिकारी छोटे लाल तिवारी ने किया। अपनी प्रभावशाली शैली में उन्होंने न केवल मंच का संचालन किया, बल्कि सरकार की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। वहीं, इस पूरे कार्यक्रम के आयोजन, व्यवस्थापन औरदेखरेख की जिम्मेदारी चिरईगांव ब्लॉक के समाज कल्याण अधिकारी शील भूषण त्रिपाठी ने निभाई। त्रिपाठी के नेतृत्व में विवाह मंडप से लेकर भोजन और उपहार वितरण तक की व्यवस्था सुचारू रूप से संपन्न हुई।
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अतिथियों की उपस्थिति और आशीष समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर उपस्थित रहे। मंत्री अनिल राजभर ने फेरे और मंत्रोच्चार होने से पहले ही नवविवाहित जोड़ों पर पुष्प वर्षा कर उन्हें आशीर्वाद दे दिया। अपने क्षण भर के संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गरीब और जरूरतमंद परिवारों की बेटियों के हाथ पीले करने के लिए संकल्पित है। सामूहिक विवाह योजना न केवल आर्थिक बोझ कम करती है, बल्कि समाज में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर भी प्रहार करती है।
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ब्लॉक प्रमुख अभिषेक कुमार सिंह ने भी इस आयोजन को पुनीत कार्य बताते हुए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की। ब्लॉक प्रमुख अभिषेक कुमार सिंह ने योजना का लाभ मिलने और विवाह संस्कार संपन्न होने के बाद, सरकार की तरफ से निर्धारित अनुदान राशि और गृहस्थी का सामान नवविवाहित जोड़ों को उपहार स्वरूप भेंट किया। उन्होंने कहा कि एक ही मंडप के नीचे अलग-अलग जाति और धर्म के लोगों का विवाह संपन्न होना, 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे को चरितार्थ कर रहा है। वर-वधु पक्ष के लोग और स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में इस आयोजन के साक्षी बने। समारोह का समापन हर्षोल्लास और नवदंपतियों की विदाई के साथ हुआ, जहाँ हर चेहरे पर सरकार की इस पहल के प्रति संतोष और कृतज्ञता का भाव दिखाई दिया।
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