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Monday, December 08, 2025

महादेव महाविद्यालय की छात्रा श्रद्धा ने एमएससी फिजिक्स में किया टॉप

वाराणसी: महादेव महाविद्यालय बरियासनपुर वाराणसी में पढ़ने वाली एमएससी की होनहार छात्रा श्रद्धा वर्मा ने एमएससी (फिजिक्स) में टॉप टेन में दूसरा रैंक हासिल किया है। किसान दिलीप वर्मा की बेटी श्रद्धा वर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उसके पिता बेहद गरीब और सामान्य किसान हैं। लेकिन अपने बच्चों की पढ़ाई पर वे पूरा ध्यान शुरू से देते आए हैं। जिसके चलते ही वह यह उपलब्धि हासिल कर पाई है। इसके लिए श्रद्धा ने कॉलेज के प्रबंधन और शिक्षकों को इसका पूरा श्रेय दिया है। 




इस छात्र छात्रा को कॉलेज में पढ़ाने वाले फिजिक्स के शिक्षक डॉ. निर्मल सिंह ने बताया कि महादेव की छात्रा श्रद्धा शुरू से मेघावी रही है। उसकी मेहनत और लगन को देखकर उन्हें पक्का विश्वास था की वह टॉप टेन में अवश्य आ जाएगी। इस उपलब्धि पर सोमवार को संक्षिप्त समारोह में कॉलेज के प्रबंधक अजय सिंह, प्रथम महिला सीमा सिंह ने छात्रा का स्वागत कर उसे बधाई दी। 

प्रबंधक अजय सिंह ने इसके लिए उसके माता-पिता और कॉलेज के शिक्षकों को पूरा श्रेय दिया। इस दौरान कॉलेज प्राचार्य डॉ. दयाशंकर सिंह, डॉ. संजय मिश्रा, पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लोकनाथ पांडेय, बीएड के डॉ. मोहन सिंह, संस्कृत विभाग के डॉ. मारुत नंदन मिश्रा, डॉ. अजीत सिंह, डॉ. अवधेश सिंह, डॉ. गौरव मिश्रा, आईटी विशेषज्ञ धर्मेंद्र भास्कर, अवनीश सिंह , विकास सिंह आदि मौजूद रहे।

Saturday, December 06, 2025

लालपुर पांडेयपुर पुलिस ने कई घटनाओं को अंजाम देने वाले चार शातिर चोरों को किया गिरफ्तार

वाराणसी: लालपुर पांडेयपुर पुलिस ने पकड़े चार शातिर चोर, कई घटनाओं का लालपुर पांडेपुर पुलिस ने किया खुलासा, वरुणा जोन के लालपुर पांडेयपुर पुलिस ने ऑपरेशन चक्रव्यूह के तहत एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए चार शातिर चोरों को गिरफ्तार किया है। इन पर ज़ोन के विभिन्न थाना क्षेत्रों में हुई कई चोरी की घटनाओं का आरोप है।


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गिरफ्तारी और बरामदगी पुलिस आयुक्त वाराणसी के निर्देशन में चलाए जा रहे अभियान के तहत मुखबिर की सूचना पर 06.12.2025 करीब 2:20 बजे गोईठहा रिंग रोड के पास से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में विक्की बेनवंशी, आरिफ उर्फ शाहरूख, रोहित बेनवंशी और ललिता उर्फ सपना शामिल हैं। सभी का निवास नई बस्ती पांडेयपुर थाना लालपुर पांडेयपुर बताया गया है। साथ ही पुलिस ने चोरी के चाँदी व सोने के विभिन्न आभूषण, कुल 31,500 रुपये नकद और एक मोटरसाइकिल बरामद की है। ये सभी अभियुक कई थानों की घटनाओं में शामिल थे।

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पूछताछ में आरोपियों ने वरुणा जोन के अंतर्गत थाना लालपुर पांडेयपुर, शिवपुर सारनाथ और रोहनिया की कम से कम आठ अलग-अलग चोरी की घटनाओं में शामिल होने का खुलासा किया है। साथ आरोपियों ने पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे रात में एक चोरी की गई मोटर साइकिल पर घूमते थे और बंद पड़े मकानों का ताला तोड़कर उनमें घुस जाते थे। वे गहने नकदी और अन्य कीमती सामान चुराते थे। चुराए गए गहने या तो स्वयं बेचे जाते थे या फिर आरोपी ललिता उर्फ सपना (विक्की की मां) राहगीरों या महिलाओं को मजबूरी बताकर औने-पौने दामों पर बेच देती थीं आरोपियों के मुताबिक चोरी से मिले पैसों का इस्तेमाल वे खाने-पीने और जुए में खर्च कर देते थे।

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गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में लालपुर पांडेपुर प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार सिंह, उपनिरीक्षक प्रभाकर सिंह, महेश मिश्रा, मानवी शुक्ला सहित कई अन्य सदस्य शामिल थे। पुलिस द्वारा सभी अभियुक्तों पर अग्रिम कार्रवाई करते हुए सभी अभियुक्तों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किया जा रहा है और पुलिस द्वारा अन्य फरार अभियुक्तों को पकड़ने के प्रयास किया जा रहा हैं।

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वाराणसी में कोटेदारों ने जिला पूर्ति अधिकारी को सौंपा ज्ञापन, मानदेय बढ़ाने व न्यूनतम इन्कम गारंटी की उठी मांग

वाराणसी: आल इंडिया फेयर प्राइज शाप डीलर एसोशिएशन उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गिरीश तिवारी के नेतृत्व में कोटेदारों ने शुक्रवार को जिला पूर्ति अधिकारी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपकर अपने मानदेय में वृद्धि, अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रति क्विंटल बढ़ा हुआ लाभांश तथा न्यूनतम आय गारंटी लागू करने की मांग की। 



ज्ञापन में कोटेदारों ने उल्लेख किया कि महामारी के चुनौतीपूर्ण दौर में भी राशन वितरण सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ईमानदारी से कराया गया। आधार सत्यापन, किसान फॉर्मर रजिस्ट्रेशन, वोटर लिस्ट समंजन सहित कई अतिरिक्त कार्य भी किए जाते हैं। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में प्रति क्विंटल मात्र ₹90 लाभांश मिलता है, जबकि हरियाणा, केरल, दिल्ली, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में ₹200 से ₹220 तक का लाभांश दिया जा रहा है।


ज्ञापन के माध्यम से कोटेदारों ने मांग की कि उत्तर प्रदेश में भी अन्य राज्यों की तरह बढ़ा हुआ लाभांश तथा न्यूनतम आय गारंटी लागू की जाए, ताकि बढ़ती महंगाई के बीच कोटेदार परिवारों का समुचित भरण-पोषण संभव हो सके। कोटेदार संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं हुआ, तो 28 जनवरी 2026 से विधानसभा घेराव और अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप होने वाली स्थिति की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन एवं राज्य सरकार की होगी। 


कार्यक्रम जिला अध्यक्ष लक्ष्मीकांत पाण्डेय महानगर अध्यक्ष मदन यादव देवबलि सिंह प्रदेश सचिव अजय जायसवाल प्रभु नारायण पाण्डेय हरिशंकर यादव दिलीप गिरि दिवाकर दूबे मनीष सिंह अरून जायसवाल काशीनाथ मोहित सोनकर रमेश जायसवाल संदीप सिंह पंकज मिश्रा विनोद पाण्डेय राजन तमाम कोटेदार उपस्थित थे

Thursday, December 04, 2025

वाराणसी में कज्जाकपुरा आरओबी 10 दिन में देगा शहर को गति, जाम से म‍िलेगी न‍िजात

वाराणसी: पोर्टेबल फ्रेम तकनीकी से बनने वाले कज्जाकपुरा रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) की सातवीं बार मियाद बढ़ाई गई। अंतिम डेट लाइन 30 नवंबर थी और जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार खुद निरीक्षण कर राजकीय सेतु निगम को एक दिसंबर से कज्जाकपुरा रेलवे ओवरब्रिज चालू करने का निर्देश दिए थे लेकिन आरओबी को चालू होने में 10 दिन और लगेंगे।



अंडरपास पर रखे बो स्ट्रिंग गर्डर से कंक्रीट ढलाई कर जोड़ने का काम पूरा हो चुका है। अब फाइनल टच देने के साथ पिच रोड बनाने का काम तेजी से चल रहा है जिससे आवागमन शुरू किया जा सके। हालांकि, इस आरओबी को लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों होना है, ऐसे में अधिकारी शुरू करने को लेकर कुछ भी बोलने से कतराते रहे।


सितंबर-2019 में कज्जाकपुरा आरओबी का काम शुरू हुआ था। काम पूरा करने की तिथि जून-2022 थी। काम में तेजी नहीं होने पर शासन ने समयावधि बढ़ाते हुए मार्च-2024 कर दिया है। काम तेजी से कराने का निर्देश देते हुए शासन ने तिथि में संशोधन करते हुए दिसंबर-2023 कर दिया गया। काम संतोषजनक नहीं होने पर शासन ने मार्च-2024 और फिर जून-2025 कर दिया है। अंतिम डेट लाइन 30 नवंबर थी लेकिन विभागीय पेच और अधिकारियों की लापरवाही चलते काम पूरा नहीं हो सका। 


क्षेत्रीय लोगों को हो रही परेशानी: कज्जाकपुरा रेलवे क्रासिंग बंद करने को लेकर भी काफी दिनों तक जद्दोजद होता रहा। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप करने पर ट्रैफिक विभाग ने उसे बंद करने की अनुमति दी। रेलवे क्रासिंग पर बो स्ट्रिंग गर्डर रखने के साथ करीब एक साल पहले बना दिया गया है। उसके साथ रेलवे क्रासिंग बंद कर दिया गया। रेलवे अंडरपास पर भी बो स्ट्रिंग गर्डर रखने के लिए भी आवागमन बंद किया गया है। छोटे वाहन किसी तरह निकल रहे थे लेकिन समय-समय पर इन्हें भी रोक दिया जाता रहा। इससे क्षेत्रीय लोगों को काफी परेशानी होती है। इसको लेकर क्षेत्रीय लोग कई बार आंदोलन तक कर चुके हैं लेकिन उनकी समस्याओं को नजर अंदाज कर दिया जाता है। सितंबर-2019 में शुरू हुआ था काम, बनने में लग गए छह साल इस कज्जाकपुरा आरओबी लंबाई : 1355.51 मीटर इसकी लागत : 14452.56 लाख है और कार्य प्रारंभ सितंबर-2019 हुआ है इसमें 54 पिलर बने है।

Wednesday, December 03, 2025

आखिर एसआईआर के पीछे असली मकसद क्या है?

प्रोफेसर राहुल सिंह की कलम से

देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में जारी एसआईआर प्रक्रिया जनता से लेकर बीएलओ तक के गले की फांस बन गयी है। शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब किसी न किसी बीएलओ के मरने, खुदकुशी करने या फिर निलंबन की सूचना न आ रही हो। वैसे भी सामान्य परिस्थितियों में तीन से चार महीने में होने वाले किसी काम को अगर महज चंद दिनों के भीतर निपटाने की कोशिश की जाएगी तो निश्चित तौर पर इसी तरह के नतीजे आएंगे। इस प्रक्रिया में काम का जो दबाव उस शख्स पर पड़ेगा उसकी महज कल्पना ही की जा सकती है। ऊपर से अगर कर्मचारी उसके अभ्यस्त न हों और उसके लिए उन्हें जरूरी प्रशिक्षण भी न मिला हो तब स्थितियां और भयावह हो सकती हैं। यही कुछ हो रहा है बीएलओ के साथ। 


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एक तरफ काम का दबाव दूसरी तरफ प्रशासनिक उच्चाधिकारियों का डंडा और उससे भी आगे बढ़कर नौकरी जाने के खतरे ने उनके दिमाग को चूल्हे पर चढ़े प्रेसर कूकर में बदल दिया है। दबाव का संतुलन बिगड़ने का मतलब है कूकर का फटना। यही सब कुछ खुदकुशी और मौतों के तौर पर सामने आ रहा है। अभी तक 20 से ज्यादा बीएलओज की मौत हो चुकी है। ढेर सारे तो अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे दे रहे हैं। एक समाचार तो यहीं नोएडा से है जहां बीएलओ पिंकी ने दबाव के चलते अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। लेकिन चुनाव आयोग है कि इसका संज्ञान भी लेना नहीं चाहता है।

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वह यह मानने के लिए भी तैयार नहीं है कि कहीं कोई चीज गलत हो रही है। यहां तक कि एसआईआर के मामले पर इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन वहां भी इसका़ कोई जिक्र नहीं हुआ। अब कोई पूछ सकता है कि एक लोकतांत्रिक और सभ्य समाज में जहां आधुनिक संस्थाओं की निगरानी और संरक्षण में सारी चीजें संचालित हो रही हैं वहां इस तरह की घटनाओं को कैसे नजरंदाज किया जा सकता है? यह एक बड़ा सवाल है इसका उत्तर आगे जानेंगे। लेकिन आइये उससे पहले एसआईआर के पीछे के पूरे मकसद को समझ लेते हैं।


वैसे तो एसआईआर वोटर लिस्ट की खामियों को दूर करने और उसमें अवैध वोटरों को छांटने तथा नये वोटरों को शामिल करने के नारे के साथ चलाया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि उसका यह मूल मकसद कतई नहीं है। एसआईआर शुद्ध रूप से एक छंटनी का कार्यक्रम है। जहां तक रही मतदाताओं को शामिल करने की बात तो उसमें भी पिक एंड चूज की व्यवस्था है। यह एक ऐसा अभियान है जो सत्तारूढ़ पार्टी के निहित स्वार्थों को पूरा करने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। इसीलिए इसे पूर्व निर्धारित और टारगेटेड तरीके से संचालित किया जा रहा है। अनायास नहीं बीच में जब इतना बड़ा संकट आ रहा है, बीएलओ की मौतें और खुदकुशियां हो रही हैं तब भी चुनाव आयोग टस से मस होने के लिए तैयार नहीं है। सत्तारूढ़ बीजेपी के किसी नेता ने संवेदना के दो शब्द भी बोलने की जहमत नहीं उठाई। यह कोई मामूली घटना नहीं है। वरना क्या चुनाव आयोग के पास समय की कमी थी? बिहार चुनाव से पहले जब आप वहां एसआईआर करा रहे थे तो उसी समय इन सारे राज्यों में भी एसआईआर शुरू हो सकता था और इस तरह से इन बाकी 13 राज्यों में एसआईआर के लिए पूरा समय मिल जाता। 

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लेकिन आपने इसलिए नहीं किया क्योंकि इससे आपका उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता। क्योंकि आप को ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं की छटनी करनी है। और उनकी जगह ऐसे वोटरों को भरना है जो आपकी अपनी योजना में फिट बैठते हों। ऐसा तभी हो सकता है जब कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा काम करने का दबाव पैदा किया जा सके। जिससे बड़ी संख्या में वोटरों के छूटने की गारंटी हो। इस कड़ी में आपको उन वोटरों को बाहर करने का मौका मिल जाएगा जो परंपरागत तौर पर बीजेपी के लिए वोट नहीं करते हैं। अनायास नहीं इसी दौरान एक बीएलओ के रिश्तेदार ने बताया कि उनके भाई के ऊपर उच्च अफसरों द्वारा पिछड़े समुदाय के वोटरों को छांटने का दबाव बनाया जा रहा था। यही नहीं बिहार में हुए एसआईआर में दलितों, अल्पसंख्यकों और ऐसे तबकों के ज्यादा से ज्यादा वोटरों के छांटे जाने की खबरें आयी थीं जो बीजेपी के आमतौर पर वोटर नहीं माने जाते हैं।

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दरअसल एसआईआर पूरे चुनाव, लोकतंत्र और चुनाव आयोग के वजूद के ही खिलाफ है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह देश के सारे के सारे मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल करे। उसका प्राथमिक लक्ष्य यह होना चाहिए कि देश में कोई एक भी मतदाता ऐसा नहीं होना चाहिए जो मतदाता सूची से बाहर हो। लोकतंत्र में चुनाव की केंद्रीय भूमिका होती है और उसमें सभी मतदाताओं को शामिल कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर होती है। लेकिन अगर इसकी जगह चुनाव आयोग का मकसद अधिक से अधिक मतदाताओं को वोटर लिस्ट से छांटना हो जाए तो फिर उस देश और उसके लोकतंत्र को कोई नहीं बचा सकता है। और कोई चुनाव आयोग अगर ऐसा कर रहा है तो इसका मतलब है कि वह अपने देश, लोकतंत्र और जनता के लिए नहीं बल्कि किसी और के निहित स्वार्थ के लिए काम कर रहा है। अपने पूरे लक्ष्यों और मकसद के विपरीत काम करने वाले चुनाव आयोग से भला फिर क्या ही उम्मीद की जा सकती है। ऊपर से अगर वन नेशन, वन इलेक्शन का विधेयक संसद से पास हो जाता है तो फिर यह कोढ़ में खाज ही साबित होगा। अभी तक चुनावों में विपक्ष के लिए जो रही सही उम्मीदें थीं वह भी धूलधसरित हो जाएंगी। इसका मतलब होगा कि पिट्ठू चुनाव आयोग के दम पर सत्ता पर बीजेपी-आरएसएस का स्थाई कब्जा। लोकतंत्र के रास्ते तानाशाही के इस सफर पर बीजेपी और संघ बहुत आगे निकल गए हैं। और चूंकि लोकतंत्र और तानाशाही दोनों एक साथ नहीं चल सकते हैं इसलिए एक का मरना तय है। और अभी की स्थिति में तो लोकतंत्र ही मरता हुआ दिख रहा है। वैसे भी यह हत्या उसकी टुकड़ों-टुकड़ों में की जा रही है।

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अब आते हैं लोकतंत्र के तहत चलने वाली बर्बरता की बात पर। आपने क्या कभी यह सोचा कि बीजेपी के किसी भी फैसले में हिंसा, हत्या, खून क्यों जुड़ जाता है। बीजेपी का कोई भी कार्यक्रम बगैर इसके संपन्न ही नहीं होता है। नोटबंदी की गयी तो सैकड़ों ने अपनी जान गवां दी। लॉकडाउन हुआ तो इसी तरह की स्थितियों का लोगों को सामना करना पड़ा। जीएसटी की मार से खुदकुशी करने वाले व्यापारियों की शायद ही देश में कोई गिनती हो पायी हो। और अगर ऐसा कुछ नहीं हो रहा है तो शांतिकाल में भी मॉब लिंचिंग से लेकर बुल्डोजर के जरिये लोगों को मौत के घाट उतारने वाले खुदकुशी के लिए मजबूर करने नियमित अभियान चलता ही रहता है। अगर कुछ बचा तो फिर एनकाउंटर के जरिये स्थाई हिंसा का माहौल बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस को दे दी गयी है। अब कोई पूछ सकता है कि ऐसा क्यों है? दरअसल बीजेपी और संघ एक हिंसक समाज चाहते हैं क्योंकि उन्हें पूरे समाज को एक स्थाई युद्ध में झोंकना है। और इसके लिए जरूरी है कि पूरा समाज मानसिक तौर पर तैयार रहे। इन सारे कार्यक्रमों और योजनाओं के जरिये देश में इसी तरह का एक इको सिस्टम तैयार किया जा रहा है। जिसमें यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि आने वाले दिनों होने वाली बड़ी से बड़ी हिंसा को बर्दाश्त करने की जनता में क्षमता हो। या दूसरे शब्दों में कहें तो एक बड़े गृहयुद्ध की तैयारी है। 

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अनायास नहीं संघ हथियारों की पूजा करता है। वह अपनी शाखाओं में स्वयंसेवकों को लड़ने की ट्रेनिंग देता है। और कई बार कई जगहों पर घरों में हथियारों तक की सप्लाई की खबरें आयी हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि पहले ही उसने हिंदुओं का सैन्यीकरण और सैनिकों का हिंदूकरण का नारा दे रखा है। अगर किसी को लगता है कि बीजेपी सरकार की अग्निवीर योजना हवा हवाई है तो उसे अपनी सोच पर फिर से विचार करना चाहिए। दरअसल अग्निवीर के जरिये संघ-बीजेपी पूरे समाज और खास कर हिंदू समाज के एक बड़े हिस्से को सैन्य प्रशिक्षण देना चाहते हैं। क्योंकि आने वाले दिनों में समाज के भीतर अगर कोई बड़ा युद्ध छिड़ा तो फिर यही सैनिक उसके लिए पहली पंक्ति के योद्धा होंगे। इसलिए एक शांतिपूर्ण समाज के हिंसक समाज में बदलने और फिर उसके हिंदू तालीबान बनने के जो खतरे हैं उसको अगर समय रहते समझा नहीं गया तो इस देश का भविष्य बेहद अंधकारमय है।

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नशीले कफ सिरप का 2000 करोड़ का काला कारोबार, ईडी की प्रारंभिक जांच में बड़ा खुलासा

लखनऊ: नशीले कफ सिरप की तस्करी करने वाला सिंडीकेट कितना शक्तिशाली और संगठित है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि ईडी की शुरुआती जांच में करीब 2हजार करोड़ रुपये के अवैध कारोबार का खुलासा हुआ है। मामले की गहराई ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों को भी चौंका दिया है। एजेंसी अब इस पूरे नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ते हुए उन लोगों तक पहुँचने में जुटी है, जो छिपकर इस गोरखधंधे को संरक्षण देते रहे हैं।



सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ईडी ने एसटीएफ, एसआईटी, जिला पुलिस और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की अब तक की कार्रवाइयों का विस्तृत ब्यौरा एकत्र कर लिया है। जांच अधिकारियों के मुताबिक, यह सिंडीकेट तीन राज्यों और विदेश तक फैला हुआ है, जहां लगातार नशीला कफ सिरप भेजा गया और 2000 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध फायदा कमाया गया।


सूत्रों के हवाले से जानकारी मिल रही है कि इस नेटवर्क को संरक्षण देने में पूर्वांचल के दो प्रभावशाली सफेदपोश नेताओं/बाहुबलियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि संरक्षण शुल्क के नाम पर मोटी कमाई होने के संकेत हैं। सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि 27 तारीख से पहले माहौल गर्माने या कुछ ‘रगड़ाई’ जैसी कार्रवाई की संभावना भी खुफिया एजेंसियों द्वारा जताई गई है।जांच आगे बढ़ने के साथ इस पूरे काले कारोबार के पीछे सक्रिय असली चेहरों को बेनकाब करने की तैयारी तेज हो गई है।

Monday, December 01, 2025

काशी तमिल संगमम 4.0 की तैयारियों का उच्च-स्तरीय निरीक्षण: नमो घाट पर जिलाधिकारी ने लिया तैयारियों का जायजा

वाराणसी: काशी तमिल संगमम 4.0 के सफल आयोजन को सुनिश्चित करने हेतु, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने नमो घाट पर चल रही तैयारियों और स्थल (ग्राउंड) का गहन निरीक्षण किया।


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अधिकारियों की टीम ने विशेष रूप से नमो घाट पर स्थापित की जा रही विशेष प्रदर्शनियों, सांस्कृतिक मंचों और वेंडर्स स्टॉलों की व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने और स्वच्छता व सुरक्षा मानकों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। डीएम सत्येंद्र कुमार ने कहा कि "नमो घाट संगमम का मुख्य केंद्र है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यहाँ आने वाले तमिलनाडु के प्रतिनिधियों और आगंतुकों को सर्वोत्तम अनुभव मिले। सुरक्षा, पार्किंग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए पुख्ता इंतज़ाम किए जा रहे हैं।"

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नोडल अधिकारी सुभाष यादव ने बताया कि संगमम अपनी थीम "तमिल सीखें - तमिल कर्कालम" के अनुरूप दोनों क्षेत्रों की सांस्कृतिक एकता को दर्शाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह निरीक्षण इस बात को रेखांकित करता है कि जिला प्रशासन इस राष्ट्रीय महत्व के आयोजन को निर्बाध रूप से संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इस महत्वपूर्ण निरीक्षण के दौरान, जिलाधिकारी के साथ अपर जिलाधिकारी (ADM) आलोक वर्मा, और ADCP श्रवणन टी भी मौजूद रहे।

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